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ओबीसी आरक्षण में अलग हिस्सा मांग रहीं विमुक्त घूमंतू जनजातियां

भीषण पिछड़ेपन का शिकार देश भर की 666 विमुक्त घूमंतू जनजातियां और अतिपिछड़ी जातियां अपने विकास के लिए आरक्षण में अलग हिस्से के लिए हो रही गोलबंद, अगले साल दिल्ली कूच
ओबीसी आरक्षण में अलग हिस्सा मांग रहीं विमुक्त घूमंतू जनजातियां

देश भर के विमुक्त घूमंतू जनजाति और अतिपिछड़ी जातियां अलग से अपने लिए आरक्षण की मांग कर रही है। उनका कहना है कि उन्हें अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) आरक्षण में से उन्हें अलग आरक्षण दिया जाए। इसे लेकर वे अगले साल फरवरी में देश की राजधानी में बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटे हैं। पटेलों के लिए अलग आरक्षण की हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद देश भर में ये समाज भी अलग आरक्षण की मांग कर रहा है। विमुक्त घूमंतू जनजातियों में बंजारा, कालबेलिया, सपेरा, कहार, कश्यप, पाल, बघेल, सांसी,कोली, लोध, गडेरिया, धनगढ़ आदि जनजातियां आति हैं।

इस बारे में राष्ट्रीय विमुक्त घूमंतू और अति पिछड़ा संघटन के अध्यक्ष हरिभाऊ राठोड ने आउटलुक से बातचीत में बताया कि देश भर में विमुक्त घूमंतू की 666 जनजातियां और 540 अतिपछड़ी जाति के करीब 40 करोड़ लोग हैं। इन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है क्योंकि इन तक कोई भी योजनाएं ठोस रूप से नहीं पहुंची है। लिहाजा उनकी मांग है कि ओबीसी के 27 फीसदी कोटे को तीन भागों में विभाजित किया जाए-पिछड़ी जातियोंस विमुक्त घुमंतू और अति पिछड़ी जाति। हरिभाऊ राठोड की मांग का आधार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट है, जिसे उसने मार्च 2014 में सौंपा था। इसमें भी कहा गया है कि ओबीसी आरक्षण को तीन भागों बांटा जा सकता है और इसके लिए आधार रखे गए है। रिपोर्ट में ए,बी,सी के तीन ग्रुप बनाए गए हैं, जिसमें विमुक्त जनजाति को अत्यंत पिछड़े वर्ग में रखा गया है।

इस रिपोर्ट को आधार बनाकर देश भर  नए सिरे से ओबीसी आरक्षण में अपना अलग हिस्सा करने की मांग यह संगठन करने जा रहा है। इन विमुक्त जनजातियों के साथ देश भर में भेदभाव, छूआछूत की घटनाएं आम है। अत्यंत पिछड़ेपन की वजह से इनमें शिक्षा का भी घोर अभाव है। इसे ही मुद्दा बनाकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने की तैयारी चल रही है। इस बारे में हरिभाऊ का कहना है कि यह हार्दिक पटेल से बड़ा आंदोलन होगा। 

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