बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी शिवसेना की मांग की आलोचना की है। समाजवादी पार्टी ने भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे दुनिया में गलत संदेश जाएगा।
पीएमके ने विवादास्पद विज्ञापन के मद्देनजर शिवसेना की मांग के बाद प्रस्तावना पर बहस के सरकार के सुझाव पर हैरानी जताते हुए उसे याद दिलाया कि वह विकास के मुद्दे पर सत्ता में आई है और उसे इसी विषय पर काम करना चाहिए।
पीएमके संस्थापक एस रामदॉस ने कहा, ''समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को संविधान की प्रस्तावना से हटाने की शिवसेना की मांग और केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद का यह बयान हैरान करने वाला है कि इस पर चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रसाद का यह बयान 'ठीक नहीं कि सरकार ने इन शब्दों के बिना मूल प्रस्तावना के इस्तेमाल का निर्णय किया है। उन्होंने आशंका जताई कि क्या वह विज्ञापन 'सोच समझकर दिया गया था जिसमें संविधान के प्रस्तावना की वह तस्वीर थी जैसा वह 42वें संशोधन से पहले दिखता था और जिसमें दोनों शब्द नहीं थे।