सूखा और बच्चों शीर्षक से जारी रिपोर्ट के मुताबिक सूखा प्रभावित दस राज्यों में लगभग 16.3 करोड़ बच्चों पर जबरस्त प्रभाव पड़ा है। जिसके कारण बाल विवाह, बाल मजदूरी, ट्रैफिकिंग और देवदासी में बच्चों को धकेले जाने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। स्कूल छूट जाने के कारण मध्यान्ह भोजन न मिलना तथा बड़े पैमाने पर पलायन भी बढ़ा है। जिस तरह से जल संकट की खबरें आ रही है उससे यह प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में इस तरह की घटनाएं और बढ़ेगी।
कैलाश सत्यार्थी ने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखकर मांग की है कि इस साल सूखे को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। साथ ही बच्चों पर सूखे के प्रभाव का विस्तृत आकलन करांए तथा सुनिश्चित करें कि कोई भी सूखा प्रभावित इलाके का बच्चा बाल मजदूरी, दुर्व्यवहार आदि के लिए मजबूर न हो। सत्यार्थी ने यह भी मांग की कि देश में कंपनियों का जो कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के मद में जो धनराशि पड़ी है उसको सूखा ग्रस्त इलाकों में बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल प्रभाव से खर्च कराया जाए।