Advertisement

किन्नौर में जेपी के ख़िलाफ़ किसानों का प्रदर्शन

हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत घाटी किनौर इन दिनों पहले जैसी नहीं है। नंगे पर्वतों से घिरे तापड़ी के मैदान में जेपी कंपनी के खिलाफ नारेबाजी से आसमान गूंज रहा है। यहां जिले की 18 पंचायतों के लगभग तीन हजार ग्रामीणों और कंपनी में काम कर रहे आठ सौ से ज्यादा मजदूरों ने प्रदर्शन किया। जेपी के खिलाफ खुले मोर्चे में अपना हक मांग रहे लोग लगातार बोल सठिया हल्ला बोल जेपी अपनी तिजोरी खोल के नारे लगा रहे थे।
किन्नौर में जेपी के ख़िलाफ़ किसानों का प्रदर्शन

ग्रामीणों और मजदूरों ने काफी से लंब‌ित अपनी मांगों को लेकर सीपीआई (एम) के नेतृत्व में यह प्रदर्शन किया‌‌ था। प्रदर्शनकारियों ने इन मांगों को लेकर कंपनी को आगामी 24 तारीख तक का समय दिया है। शिमला के उपमहापौर और सीपीआई (एम) के नेता टिकेंद्र सिंह पंवर का कहना है कि जेपी के किनौर स्थ‌ित बास्पा और कड़छम वांगतू पावर प्रॉजेक्ट में काम कर रहे इन मजदूरों को सतलुज जल विद्युत निगम के तहत आने वाले नाथपा झाकड़ी पावर प्रॉजेक्ट (1500 मैगावॉट) में काम कर रहे मजदूरों जितना वेतन ही मिलना चाहिए।

टिकेंदर के अनुसार दूसरी मांग किसानों की है। किनौर की मुख्य अर्थ व्यवस्था सेब है लेकिन जेपी के पावर बिजली प्रॉजेक्ट्स की वजह से प्रदूषण, बंजर हुई जमीन और नदी में पानी कम होने का असर सीधे सेब की फसल पर हो रहा है। इस बारे में न तो सरकार कुछ सोच रही है और न ही कंपनी। क‌िसानों का कहना है कि नियमों के तहत विकास के लिए जो पैसा स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाना वह भी खर्च नहीं किया गया है। ‌ पंवर का कहना है कि अगर 24 तारीख तक कंपनी ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

गौरतलब है कि न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि उत्तराखंड में भी पहाड़ों को चीर कर बनाए जा रहे पावर प्रॉजेक्ट्स के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है। स्तानीय जैव विविधता, जंगल, गांव सब खत्म हो रहे हैं। पिछले सालों में केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा इसी का नतीजा थी। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad