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पांच साल में 50 गुना बढ़ गई संपत्ति

प्राइमरी के रिटायर शिक्षक, रिटायर सरकारी कर्मचारी या फिर फुल टाइम राजनीतिक कार्यकर्ता। इन सभी का बैंक बैलेंस, संपत्ति चार-पांच साल में कितनी बढ़ सकती है? कुछ फीसद, दोगुनी, तिगुनी... या फिर 50 गुनी? बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की निजी संपदा में तो इसी कदर इजाफा हुआ है। चुनाव लड़ रहे कुछ नेताओं ने नामांकन भरते समय चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में अपनी संपत्ति का जो ब्यौरा दिया है, उससे तो यही लगता है।
पांच साल में 50 गुना बढ़ गई संपत्ति

बंगाल में आठ और 11 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव होने हैं। उन क्षेत्रों के उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की संपत्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ है। नंदीग्राम आंदोलन के समय तृणमूल कांग्रेस के नेता रहे शेख सुफियान का छोटा सा एक मंजिला मकान अब बड़े से तीन- मंजिला बंगले में बदल गया है। कभी ममता बनर्जी के करीबी रहे सुफियान अब उनके करीबियों की लिस्ट में नहीं हैं। वे इस दफा चुनाव मैदान में नहीं हैं।

जो चुनाव मैदान में हैं, उनमें कई की संपत्ति कई गुना बढ़ गई है। खासकर, जो विधायक हैं। अगर मंत्री रहे हैं तो पूछना ही क्या। वर्ष 2011 में ममता बनर्जी के `पोरिबोर्तोन’ के नारे के साथ नयाग्राम सीट से जीतकर आए थे दुलाल मुर्मू। तब प्राइमरी शिक्षक रहे मुर्मू की जमा-पूंजी थी 82 हजार 79 रुपए। इस बार उनके घोषणापत्र में उन्होंने अपनी जमा-पूंजी 45 लाख 19 हजार 748 लाख रुपए बताई है। 45 गुणा बढ़ोतरी संपत्ति में। कांथी के एक प्राइमरी स्कूल से वे रिटायर हुए हैं। उसी इलाके में चार कट्टा जमीन पर लगभग छह जरा वर्गफीट का मकान बनवाया है। मकान की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। साथ ही, उनके पास आठ लाख रुपए की गाड़ी, पांच डिस्मिल जमीन और पत्नी के नाम से 13 लाख रुपए हैं।

बंगाल में लालगढ़ कांड के दौरान माकपा नेता अनुज पांडे का महलनुमा मकान बेहद चर्चा में था। तब उस मकान को माओवादी समर्थित जनगन कमेटी के लोगों ने ढहा दिया था। उसी इलाके में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुकुमार हांसदा बतौर आदिवासी नेता उभरे। पेशे से चिकित्सक सुकुमार हांसदा आदिवासी विकास मंत्री रहे। 2011 में उनकी संपत्ति थी 57 लाख 80 हजार 271 रुपए। इस बार उन्होंने एक करोड़ 31 लाख 24 हजार 790 रुपए बताए हैं। झारग्राम शहर में उनका मकान है। मकान में विदेशों से सजावटी सामान मंगाए गए हैं। दुबराजपुर में उन्होंने बड़ी एक जमीन खरीदी है। पुरुलिया जिले के बलरामपुर से शांतिराम महतो भी मंत्री रह चुके हैं। उनकी संपत्ति चार गुणा बढ़ी है। 2011 में उनके पास सात लाख 92 हजार 224 रुपए की संपत्ति थी। इस बार आंकड़ा 32 लाख 66 हजार 299 रुपए तक पहुंचा है।

सीडी कांड में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। नेताओं के घोषणापत्र में जिस तरीके से संपत्ति बढ़ती दिख रही है, भ्रष्टाचार की बात साबित हो रही है। जंगलमहल से पिछड़े इलाके के विधायकों की संपत्ति में जोरदार इजाफे से सवाल उठ रहे हैं। माकपा की राज्य सचिव मंडली के सदस्य दीपक सरकार के अनुसार, `तृणमूल के नेताओं ने विकास मद की रकम में खूब हेराफेरी की है।’ कांग्रेस के नेता मानस भुइयां कहते हैं, `सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की संपत्ति कैसे बढ़ी, इसकी जांच होनी चाहिए।’ हालांकि, तृणमूल के नेताओं के अपने तर्क हैं। दुलाल मुर्मू का कहना है, `मैं शिक्षक रहा हूं। साधारण जीवन यापन करता हूं।’ सुकुमार हांसदा का कहना है, `मैं सरकारी अस्पताल में चिकित्सक था। 2011 में रिटायर हुआ। रिटायरमेंट पर मिली रकम को बैंक में जमा कर दिया था।’ यह बात दीगर है कि रिटायरमेंट के बाद अमूमन सरकारी चिकित्सक को 15-18 लाख से ज्यादा नहीं मिलते। इस रकम को बैंक में रखने से 73 लाख 44 हजार नहीं बनते।

मेदिनीपुर और घाटाल इलाके में उम्मीदवारों की संपत्ति बढ़ोतरी हैरान करती है। 2011 में मृगेन माइति सरकारी नौकरी से रिटायर हुए थे और तब उनकी कुल संपत्ति 31 हजार रुपए थी। अब 70 लाख 88 हजार रुपए है। घाटाल के निवर्तमान विधायक शंकर दोलुई का मकान बड़ा हो गया है और उनकी जमा-पूंजी 17 लाख 67 हजार से बढ़कर 56 लाख 22 हजार हो गई है। वे तृणमूल कांग्रेस के पूर्णकालिक नेता हैं।

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