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ईवीएम पर हुई सर्वदलीय बैठक की पांच अहम बातें

चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम के मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई है। 16 विपक्षी पार्टियों की तरफ से ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाने के बाद आयोग ने सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया था।
ईवीएम पर हुई सर्वदलीय बैठक की पांच अहम बातें

इस बैठक की कई विशेषताएं और यहां हुई अहम बातें पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर रही है। आइए जानते हैं इस बैठक की पांच प्रमुख बातें-

देश भर की राजनीतिक पार्टियां हुई एकत्रित

इस बैठक में 7 राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा 48 मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टियों से 35प्रतिनिधि शामिल हुए। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी के भाषण से बैठक की शुरूआत हुई उन्होंने ईवीएम में छेड़छाड़ के अलावा वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के प्रस्तावित उपयोग के बारे में चर्चा की।

ईवीएम के सुरक्षा मानकों पर विशेषज्ञों ने रखा पक्ष

आईआईटी से बुलाए गए आईटी विशेषज्ञों ने विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष ईवीएम में इस्तेमाल होने वाले सुरक्षा मानकों के बारे में बताया। बैठक में सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों को बोलने के लिए 5 मिनट का समय दिया गया।

चुनाव आयोग ने दी चुनौती

ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की शिकायत पर चुनाव आयोग चैलेंज किया है।  इसके लिए आयोग ने सभी पार्टियों को बैठक में अपने तीन नुमाइंदे भेजने को कहा है, इनमें से एक तकनीकी का जानकार होगा। बैठक के बाद चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को चुनौती दी है कि वो ईवीएम को हैक करके दिखाएं। आयोग ने इसके लिए पार्टियों को रविवार और सोमवार का समय दिया है।

वीवीपैट की दी जानकारी

सर्वदलीय बैठक में चुनाव आयोग ने वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के उपयोग की  जानकारी दी। चुनाव आयोग के मुताबिक 2019 से हर बूथ पर वीवीपैट मशीनों के इस्तेमाल की योजना है। इस मशीन में वोटर देख सकता है कि उसका वोट सही पड़ा है या नहीं। इन मशीनों से हर वोट की रसीद निकलेगी जो 7 सेकेंड में मशीन से निकलकर सीधे बक्से में चली जाएगी।

इन मुद्दो पर भी हुई चर्चा

ईवीएम छेड़छाड़ के अलावा चुनाव आयोग के इस बैठक में चुनावों में रिश्वत को संज्ञेय अपराध बनाने की भी बात हुई। कहा गया कि प्रतिनिधित्व क़ानून में रिश्वत के मामलों में नई धारा जोड़ी जाए, साथ ही आयोग को रिश्वतखोरी पर चुनाव रद्द करने तक का हक मिले। चुनाव में रिश्वतखोरी पर आरोप तय होते ही विधायक-सांसद अयोग्य हों। इस दौरान राजनीतिक दलों के चंदे पर पारदर्शिता की भी बात हुई। इसके लिए कहा गया कि 20 करोड़ से ज्यादा कैश चंदा न हो या साल के कुल चंदे का 20% से ज्यादा कैश न हो। 2000 रुपए से ऊपर का गुमनाम चंदा न हो। चुनावी ख़र्च के लिए उम्मीदवार का अलग बैंक खाता हो।

 

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