अमेरिकी लेखक जॉर्ज सॉन्डर्स ने अपने उपन्यास ‘लिंकन इन द बार्दो’ के लिए ब्रिटेन का प्रख्यात मैन बुकर पुरस्कार जीता है। यह पुरस्कार जीतने वाले वह दूसरे अमेरिकी लेखक बन गए हैं।
अंग्रेजी भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार के लिए जजों ने इस किताब की तारीफ में इसे बिल्कुल ओरिजिनल उद्वेलित करने वाला बताया। इस किताब में अब्राहम लिंकन के 11 साल के बेटे विली की मौत की कहानी है। इस अवॉर्ड में लगभग 43 लाख रुपए के बराबर की राशि मिलती है।
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— Man Booker Prize (@ManBookerPrize) October 17, 2017
58 साल के लेखक सॉन्डर्स ने पुरस्कार जीतने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘फिक्शन हमें एक से अधिक पहलू से गुजारने और सच दिखाने का एक जरिया है। इस सम्मान के लिए शुक्रिया, मैं उम्मीद करता हूं कि मैं अपने बचे हुए काम को आने वाले समय में स्तरीय ही रखूंगा।‘
निर्णायक पैनल की अध्यक्ष लोला यंग ने लंदन में एक समारोह में पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, 'यह मूल उपन्यास शैली परिहास युक्त, बुद्धिमानी और गहराई से आगे बढ़ते हुए वर्णनात्मक रूप से कहानी का खुलासा करता है।'
अपने छोटे से भाषण में सॉन्डर्स ने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप की विवादित नीतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'हम अलग दौर में रह रहे हैं। अमेरिका में अब हम संस्कृति की रक्षा करने की जरूरत के बारे में काफी कुछ सुन रहे हैं। आज की रात सांस्कृतिक है।'
लिंकन इन द बार्दो सॉन्डर्स का पहला फुल लेंथ नॉवेल है। इससे पहले उन्हें शॉर्ट स्टोरीज के लिए जाना जाता था।
इस साल मैन बुकर पुरस्कार के लिए 3 अमेरिकी और तीन ब्रिटिश लेखकों को नामित किया गया था। पिछले साल पॉल बिटी इस पुरस्कार को जीतने वाले पहले अमेरिकी लेखक बने थे। उन्हें उनके उपन्यास ‘द सेलआउट’ के लिए यह पुरस्कार मिला था।
मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन (Man Booker Prize for Fiction) को शॉर्ट में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, जो अंग्रेजी भाषा में लिखे गए फिक्शन के लिए दिया जाता है। शुरूआत में यह पुरस्कार कॉमनवेल्थ, आयरिश और साउथ अफ्रीका के लेखकों को दिया जाता था लेकिन 2014 में इसे इंटरनेशनल कर दिया गया और पूरे विश्व के लेखकों के लिए इसे शुरू कर दिया गया।
2008 वर्ष का पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिगा को दिया गया था। अडिगा को मिलाकर कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है, जिनमें वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी और किरण देसाई शामिल हैं।
बुकर पुरस्कार की शुरुआत 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है।