सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करके अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कथित उत्पीड़न के मामले में स्वत: गिरफ्तारी और मामला दर्ज किए जाने पर रोक लगाने वाले उसके आदेश को चुनौती देगी। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा है कि भारत सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कल्याण हेतु कृत संकल्पित है। सुप्रीम कोर्ट ने एट्रोसिटी एक्ट के सम्बंध में जो फैसला दिया है उसके सम्बंध में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।
भारत सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कल्याण हेतु कृत संकल्पित है । सुप्रीम कोर्ट ने एट्रोसिटी ऐक्ट के सम्बंध में जो फ़ेसला दिया है उसके सम्बंध में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है ।
— Dr. Thawarchand Gehlot (@TCGEHLOT) March 30, 2018
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इस मामले में विरोध जता रहे लोगों से अपील करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने वाले सभी संगठनो और लोगों से मेरा अनुरोध है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय के परिपेक्ष्य में वो आंदोलन वापिस लें।
हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की अगुआई में इन नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को लेकर अपनी चिंताएं राष्ट्रपति के समक्ष रखीं और एक ज्ञापन भी सौंपा था।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत होने वाली तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसे फैसले के बाद बीजेपी में विरोध के सुर भी उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर बीजेपी के अंदर से भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं।