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गृह मंत्रालय ने रोका फंड, ग्रीनपीस देगा चुनौती

गृह मंत्रालय द्वारा फिर से विदेशी फंड रोक लगाने को फैसले को ग्रीनपीस कोर्ट में चुनौती देेगा। ग्रीनपीस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने हाल ही में ग्रीनपीस इंटरनेशनल की तरफ से ग्रीनपीस इंडिया को भेजी गई 1,48,608 यूरो की राशि के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।
गृह मंत्रालय  ने रोका फंड, ग्रीनपीस देगा चुनौती

 ग्रीनपीस इस मामले में फिर से कानूनी उपायों पर विचार कर रही है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने जनवरी में आदेश दिया था कि ग्रीनपीस इंडिया को ग्रीनपीस इंटरनेशनल की तरफ से मिले फंड को इस्तेमाल करने दिया जाय। अदालत ने ग्रीनपीस इंटरनेशनल से धन रोकने की गृह मंत्रालय की कार्रवायी को मनमाना, अवैध और असंवैधानिक माना था।

विज्ञप्ति के अनुसार 31 मार्च 2015 को खत्म हुए वित्त वर्ष में ग्रीनपीस इंडिया को देश की जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला है। ग्रीनपीस को मिले चंदे के आकड़े बताते हैं कि भारत सरकार द्वारा ग्रीनपीस के खिलाफ मानहानि का सीधा हमला करने के बावजूद संस्था को सामान्य भारतीयों से ऐतिहासिक समर्थन मिला है। ग्रीनपीस इंडिया को 30,746 नये समर्थक मिले हैं, इस वित्त वर्ष में ग्रीनपीस को कुल 30.36.करोड़ रुपये प्राप्त हुए जिसमें 20.76 करोड़ रुपये चंदा भारतीयों ने दिया है। 9.61 करोड़ रुपये  विदेशी दानदाताओं जिसमें मुख्यतः ग्रीनपीस इंटरनेशनल और बार्था फाउंडेशन शामिल हैं से प्राप्त हुआ है। ग्रीनपीस देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तियों से इकठ्ठा हुए चंदे पर ही निर्भर है जबकि वह किसी तरह के कॉर्पोरेट या सरकारी संस्थाओं से पैसे स्वीकार नहीं करता है।

 ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने इस परिणाम का स्वागत करते हुए कहा, “गृह मंत्रालय द्वारा हम पर राष्ट्र विरोधी होने का धब्बा लगाने की कोशिश के बावजूद यह खुशी की बात है कि हजारों हिन्दुस्तानी अपनी जेब से पैसा खर्चकर सरकार के विचार से असहमति व्यक्त कर रहे हैं। यह ग्रीनपीस इंडिया के द्वारा सुरक्षित खाद्य, स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी तथा स्वच्छ ऊर्जा जैसे संवैधानिक अधिकारों के लिये चलाए जा रहे अभियानों को वैधता प्रदान करती है। इन मुद्दों पर ही हम अपना अभियान चला रहे हैं इसलिए इसमें आश्चर्य नहीं कि हमें प्राप्त 70 प्रतिशत चंदा भारतीयों से मिला है”।

 समित आइच का कहना है, “सरकार विरोध, आलोचना और असंतोष को दबाने के लिये लगातार हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है और हमारे चंदे के स्रोत पर भी प्रतिबंध लगाती रही है। सरकार को आलोचना को दबाने की बजाय  समावेशी विकास के लिये अलग-अगल नजरीये और समाधान को अपनी नीतियों में शामिल करना चाहिए। विदेशी धन पाने के लिये पंजीकृत संस्था के रुप में हम एफसीआरए के नियमों को पारदर्शी तरीके से पालन करते रहेंगे।”।

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