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प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर जीएसटी दर ज्यादा होगी: जेटली

भारत द्वारा पेरिस जलवायु संधि पर दस्तखत के चंद दिनों बाद शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में पर्यावरण की लिहाज से प्रतिकूल उत्पादों पर अन्य उत्पादों के मुकाबले अलग तरह का कर लगाया जाएगा। ऐसा कर जलवायु परिवर्तन से बचाव आदि से जुड़े कामों के लिए अधिक कोष जुटाया जाएगा।
प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर जीएसटी दर ज्यादा होगी: जेटली

वित्त मंत्री ने गोवा में शुरू हो रहे दो दिन के ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन से पहले कहा कि हम जिस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की योजना बना रहे हैं, उसमें पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले उत्पादों पर कर की दर, सामान्य दर से भिन्न होगी।
सरकार वस्तु एवं सेवा कर के लिए दरों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। जेटली ने कहा कि देश में कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों पर पूर्व में भी कर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि जलवायु के लिए सभी स्रोतों से धन जुटाया जाएगा, ताकि पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ विकास के लक्ष्यों को अधिक पुख्ता तरीके से हासिल किया जा सके।
उन्होंने कहा कि विकसित देशों की तरफ से जलवायु परिवर्तन संबंधी परियोजनाओं के लिए जिस कोष की प्रतिबद्धता जताई गयी है, वह पर्याप्त नहीं है। इस काम में बहुपक्षीय एजेंसियों को भी हाथ बटाना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा, अब 100 अरब डालर के कोष (जलवायु के संबंध विकसित देशों द्वारा दिए जाने वाले धन) की प्रकृति को लेकर बहस छिड़ी है। विकसित देशों ने विकासशील देशों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को इस राशि की प्रतिबद्धता जताई है। हमें उम्मीद है कि जहां तक कोष का सवाल है, तो इसको लेकर किसी तरह की दोहरी गिनती नहीं होनी चाहिए।
जेटली ने कहा कि पिछले साल भारत और चीन ने 100 अरब डालर के कोष का मुद्दा उठाया था। इस मौके पर रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने विभिन्न देशों के द्वारा जलवायु वित्तपोषण को अधिक महत्व न देने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 100 अरब डालर की बात पिछले दस साल से की जा रही है पर विकसित देशों में इसको लेकर घरेलू पक्षों से दबाव नहीं है।
सरकार ने पेरिस जलवायु समभुाौते के तहत वैश्विक जलवायु गठजोड़ में शामिल होने से इनकार करने के बाद दो अक्तूबर को इस संधि का अनुमोदन कर दिया। इस कदम से अंतरराष्टीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन पर नियंत्राण के लिए क्रियान्वित किए जाने वाले उपायों को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। भारत द्वारा इसके अनुमोदन से उसकी जिम्मेदार नेतृत्व का पता चलता है। यह करार कम से कम 55 देशों द्वारा इस संधि के अनुमोदन के बाद लागू होगा। इन देशों का वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 55 फीसद का हिस्सा है। अभी तक 61 देशों ने अपने अनुमोदन, स्वीकार्यता या मंजूरी को सौंपा है, जिनका कुल वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 47.79 प्रतिशत का हिस्सा है। दुनिया में कार्बन उत्सर्जन में चीन और अमेरिका का 40 प्रतिशत हिस्सा है। इन देशों ने संयुक्त रूप से पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को अनुमोदित कर दिया है।

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