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नरोदा पाटिया केस: जजों को प्रभावित करने की कोशिश

वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा पटिया मामले में आज एक नया मोड़ आया। मामले में अपील की सुनवाई कर रही गुजरात हाईकोर्ट की दो सदस्‍य बैंच के जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। जजों ने कहा है कि आरोपियों में से कुछ ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी।
नरोदा पाटिया केस: जजों को प्रभावित करने की कोशिश

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस केएस झवेरी ने आज पूर्व राज्य मंत्री मायाबेन कोडनानी और विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत तकरीबन 29 दोषियों की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग करने का आदेश दिया है। कोडनानी और बाबू बजरंगी ने स्‍पेशल ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्‍हें दोषी करार दिए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 

27 फरवरी 2002 को गोधरा में एक रेलगाड़ी को जलाने की घटना के अगले दिन हुए नरोदा पाटिया दंगों में  97 लोग मारे गए थे। मृतकों में ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के थे। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता सीतलवाड़ ने नरोदा पाटिया मामले में अपील की सुनवाई से पहले ही मुंबई में उनके घर व दफ्तर पर सीबीआई की छापेमारी पर सवाल खड़े किए थे। तीस्‍ता गुजरात दंगा पी‍ड़‍ितों को इंसाफ दिलाने की मुहिम से जुड़ी रही हैं। विदेशी अनुदान संबंधी एक मामले में सीबीआई की छापेमारी को तीस्‍ता ने जाकिया जाफरी और नरोडा पाटिया मामले की सुनवाई से पहले उन्‍हें धमकाने और अपमानित करने की कोशिश करार दिया है। गौरतलब है कि गुजरात दंगों से जुड़े जाकिया जाफरी मामले की सुनवाई 27 जुलाई को होनी है। 

 

जजोें से संपर्क की कोशिश

गुजरात हाईकोर्ट के दोनों न्यायाधीशों ने मामले से खुद को अलग करते हुए कहा कि आरोपियों में से कुछ ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। इस मामले में दोषियों, दंगे में जिंदा बचे लोगों और अभियोजन एजेंसी - विशेष जांच दल (एसआईटी) ने स्‍पेशल ट्रायल कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजाओं को बढ़ाने या इन्‍हें चुनौती देने के लिए अपीलें दायर की हैं।

 

माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को मिल चुकी है सजा 

स्‍पेशल ट्रायल कोर्ट ने अगस्त 2012 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी ठहराया था। हत्या व आपराधिक साजिश के सिलसिले में माया कोडनानी समेत 30 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बजरंगी को मौत होने तक कैद की सजा सुनाई गई थी। मामले में दो आरोपियों माया कोडनानी और किरपालसिंह छाबडा को जमानत मिल चुकी है। 

इससे पहले मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवि त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष हो रही थी, लेकिन दंगे पी‍ड़ि‍तों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि इस बैंच के समक्ष अंतिम सुनवाई नहीं हो। इस बीच, जस्‍टिस रवि त्रिपाठी 6 मई को सेवानिवृत्त हो गये और अब यह मामला एक अन्य डिविजनल बैंच के समक्ष सूचीबद्ध हुआ था। 

 

- एजेंसी इनपुट 

 

 

 

 

 

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