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नारेबाजी के बजाय विकास की बातों को दें तरजीह: हेपतुल्ला

भारत माता की जय के नारे पर देवेंद्र फड़णवीस और रामदेव की टिप्पणियों को लेकर बढ़ते विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने आज नारेबाजी के बजाय विकास की बातों पर जोर देने की बात कही और आगाह किया कि इस तरह के राजनीतिक भाषण पहले भी देश में गलत चीजों के लिए जिम्मेदार रहे हैं।
नारेबाजी के बजाय विकास की बातों को दें तरजीह: हेपतुल्ला

अल्पसंख्यक मामलों की केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने मंगलवार को राज्य और केंद्र शासित राज्यों में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रियों और सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन से इतर बातचीत में कहा, ऐसे मुद्दों पर आप प्रतिक्रिया नहीं दें, बल्कि सिर्फ विकास की बातें करें। आपको लोगों को रोजी-रोटी देना होगा, बच्चों को प्रशिक्षित करना होगा और आगे बढ़ना होगा। उन्होंने इस विचार को भी खारिज कर दिया कि देश में इस वक्त अल्पसंख्यकों के बीच दहशत व्याप्त है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमारे देश में पहले भी ऐसे राजनीतिक भाषणों के कारण गलत चीजें हुई हैं जो विकास के मुद्दे से भटकाती हैं। हमलोग नारों के बारे में नहीं बल्कि विकास के बारे में बात करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजग सरकार को उसके विकास के कार्यों से ध्यान भटकाने के लिए ही इस तरह के विवादों को पैदा किया जाता है। उनसे

 

केंद्रीय मंत्री से यह पूछे जाने पर कि हाल में इस तरह के बयान अधिकतर सत्ताधारी पार्टी के प्रतिनिधियों की ओर से दिए गए, इस पर हेपतुल्ला ने कहा, लोग जो कहते हैं उन्हें कहने दें, क्योंकि वह केवल विकास की बात पर चर्चा को तरजीह देती हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अब जबकि वह सत्ता में हैं इसलिए यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह कार्रवाई करें ना कि प्रतिक्रिया दें। फडणवीस ने पिछले हफ्ते कहा था कि जो भारत माता की जय का नारा बोलना नहीं चाहते, उन्हें देश में रहने का अधिकार नहीं है। रामदेव ने भी यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि वह देश के कानून और संविधान का सम्मान करते हैं, नहीं तो भारत माता की जय के नारे का विरोध करने वाले लाखों सिर कट गए होते।

 

बहरहाल, मंत्री ने कहा कि वह इस बात से दुखी हैं कि दो साल पहले गठित हुई मौजूदा राजग सरकार की ओर से संभवत: इस तरह के पहले प्रयास के तहत आयोजित सम्मेलन के लिए गैर भाजपा शासित राज्यों से अल्पसंख्यक मामलों का कोई मंत्री या प्रतिनिधि नहीं आया। सम्मेलन में गैर मौजूद रहे उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, मैं निराश नहीं बल्कि दुखी हूं, क्योंकि इससे हम कुछ भी नहीं खोने जा रहे हैं बल्कि इससे उनका ही नुकसान होगा। यह दिखाता है कि वे अल्पसंख्यकों के कल्याण में रूचि नहीं रखते हैं। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को शिक्षा मुहैया कराना उनकी सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है। अन्य मुद्दों के अलावा मंत्री ने राज्य के मंत्रियों को बताया कि केंद्र आर्थिक खाई को पाटकर मुस्लिमों के सशक्तिकरण के लिए वक्फ संपत्तियों को विकसित करना चाहती है। उन्होंने आश्वस्त किया, अगर यह संदेह है कि हमलोग इन संपत्तियों को हटा देंगे तो ऐसा बिल्कुल नहीं है, हमलोग संपत्ति नहीं लेना चाहते बल्कि हम तो ऐसा लोगों को सशक्त बनाने के लिए करना चाहते हैं। ।

 

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