भले ही भारत की आबादी अभी चीन से कम है और कुछ वर्षों में हम उससे आगे निकलने वाले हों। लेकिन वास्तविकता यह है कि हम पहले ही चीन को पीछे छोड़ चुके हैं। भारत का जनसंख्या घनत्व चीन से करीब तीन गुना ज्यादा है। इसका आशय है कि देश के संसाधनों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता चीन के मुकाबले पहले ही महज एक तिहाई रह गई है।
हाल में आबादी का मुद्दा चर्चाओं में आया
देश की बढ़ती जनसंख्या का मुद्दा एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। इसकी दो वजह हैं। पहली वजह है, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आबादी का मुद्दा उठाया और कहा कि छोटा परिवार रखना भी देशभक्त की तरह हैं। इस मुद्दे ने लोगों का ध्यान इस तथ्य से खींचा कि भारत कुछ वर्षों में ही आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत महज चार-पांच साल में चीन से आगे निकल जाएगा।
क्षेत्रफल कम है तो संसाधनों पर ज्यादा दबाव
प्रायः किसी देश की आबादी की कुल संख्या ही चर्चा का विषय बनती है। देश का आकार प्रायः नजरंदाज कर दिया जाता है। जबकि नागरिकों के जीने के लिए आवश्यक संसाधनों जैसे जमीन, पानी, अन्न वगैरह की उपलब्धता देश के क्षेत्रफल पर काफी हद तक निर्भर होती है। दूसरे देशों के अनुपात में किसी देश की जनसंख्या कम हो लेकिन उसका क्षेत्रफल और कम हो तो ज्यादा घनत्व के कारण नागरिकों के लिए संसाधनों की उपलब्ध कम होगी और उनका जीवन स्तर और सुख सुविधाएं कम होंगी।
भारत का जनसंख्या घनत्व चीन के मुकाबले तीन गुना
संयुक्त राष्ट्र की पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व चीन से 2.96 गना ज्यादा है। भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर 440.29 व्यक्तियों का घनत्व है जबकि चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व 148.81 व्यक्तियों का है। इसका सीधा अर्थ है कि भारत में एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के संसाधनों पर 440.29 व्यक्ति निर्भर हैं जबकि चीन में इतने ही क्षेत्र पर सिर्फ 148.29 व्यक्ति निर्भर हैं।
देश का क्षेत्रफल सिर्फ एक तिहाई
आंकड़ों के हिसाब से भले ही अभी भारत की आबादी चीन से कम है। संयुक्त राष्ट्र की पिछले महीने जारी रिपोर्ट के अनुसार चीन की आबादी 143 करोड़ है जबकि भारत की जनसंख्या 137 करोड़ है। इस तरह चीन की आबादी भारत से सिर्फ छह करोड़ ज्यादा है। लेकिन वास्तविक समस्या इस आंकड़े से नजर नहीं आएगी। इस मुद्दे की गंभीरता क्षेत्रफल की तुलना करने पर दिखाई देती है। चीन का क्षेत्रफल 96 लाख वर्ग किलोमीटर है जबकि भारत का एरिया 33 लाख वर्ग किलोमीटर से भी कम है।
वृद्धि दर घटने से भारत फिलहाल पीछे ही रहेगा
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत की आबादी चीन से 2027 में ज्यादा हो जाएगी। 2017 में उसने कहा था कि 2022 में ही भारत आबादी के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा। लेकिन भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आने से वह चीन से कुछ और साल पीछे बना रहेगा। पिछले दशक के दौरान जनसंख्या वृद्धि दर में खासी कमी आई है।
लेकिन चीन से आगे निकलना तय
लेकिन ऐसा भी नहीं है भारत इस मामले में चीन से पीछे बने रहने में सफल हो पाएगा क्योंकि भारत में वृद्धि दर चीन से काफी तेज है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच भारत की आबादी 17.64 फीसदी बढ़ी यानी उसकी वार्षिक वृद्धि दर 1.76 फीसदी रही जबकि इसी अवधि में चीन की आबादी 5.43 फीसदी बढ़ी। इस तरह उसकी वार्षिक वृद्दि दर महज 54.3 फीसदी रही। संयुक्त राष्ट्र के ताजा अनुमान के अनुसार बीते साल चीन की वार्षिक वृद्धि दर सिर्फ 0.39 फीसदी रह गई जबकि भारत की वृद्धि दर 1.11 फीसदी रही। इस वजह से आबादी के मामले में भारत का चीन से आगे निकलना तय है।
आबादी नियंत्रण के लिए कभी नहीं हुए प्रभावी उपाय
लेकिन वास्तविक समस्या चीन के मुकाबले भारत का क्षेत्रफल एक तिहाई रहना है। यही वजह है कि भारत में आबादी पर नियंत्रण की ज्यादा आवश्यकता है। लेकिन भारत तक इस दिशा में सरकारों ने कभी गंभीर प्रयास नहीं किए। सरकारों ने जो प्रयास भी किए, उनका कोई असर नहीं दिखाई दिया।