स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने कर मामलों में मदद के अपने नियमों के अनुसार सुने जाने के अधिकार का उपयोग करने के लिए कौर और सिंह से 10 दिनों में याचिका दायर करने को कहा है। इस प्रकार की मदद में खाताधारक का खाता और अन्य जानकारियां साझा करना शामिल हो सकता है। स्विट्जरलैंड के कर विभाग ने सरकार के संघीय गजट में आज प्रकाशित दो पृथक अधिसूचनाओं में ये खुलासे किए हैं। अधिसूचनाओं में नागरिकता और जन्म तिथि के अलावा दोनों के बारे में और अधिक जानकारी नहीं दी गई हैं। इस संबंध में कौर और उनके बेटे ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले कौर का नाम जब एचएसबीएस की लीक हुई सूची में पाया गया था तो उन्होंने किसी भी विदेशी बैंक में उनके नाम पर कोई भी खाता होने की बात से इनकार कर दिया था। कौर ने उस समय यह भी कहा था कि कर विभाग ने उनका बयान दर्ज किया है लेकिन उन्हें कोई ऐसा दस्तावेज नहीं दिखाया गया है जिससे यह संकेत मिले कि उनका कोई विदेशी खाता या न्यास है।
स्विट्जरलैंड के ऊपर बैंकिंग गोपनीयता पर लगाम लगाने के संबंध में वैश्विक दबाव के बीच हाल के महीनों में कई भारतीय और अन्य विदेशियों के नाम का खुलासा किया गया है। यह भारत और अन्य देश जिनका स्विट्जरलैंड के साथ कर संबंधी मामलों में आपसी सहायता समझौता है, की ओर से मांगी गई जानकारी के संबंध में अब तक किए गए खुलासों की श्रृंखला की सबसे ताजा कड़ी है। स्विट्जरलैंड के साथ प्रशासकीय सहायता और सूचनाओं के आदान-प्रदान से जुड़ी द्विपक्षीय संधि के तौर पर भारत ने संदिग्ध रूप से स्विस बैंक में जमा काले धन के खिलाफ कार्रवाई करने के सिलसिले में खाताधारी व्यक्तियों और कंपनियों के बारे में ब्योरा मांगा था। अब तक दर्जन भर से अधिक खाताधारियों के नामों का खुलासा किया गया है जबकि कई अन्य आवेदन स्विस सरकार के पास हैं जो सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया शुरू करने से पहले अपनी तरफ से इसकी जांच करती है।