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जेएनयू: सजा के खिलाफ बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठे 25 छात्र

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 9 फरवरी को घटी विवादास्पद घटना के संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए दंड के विरोध में 25 छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
जेएनयू: सजा के खिलाफ बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठे 25 छात्र

विद्यार्थियों द्वारा गंगा ढाबा से प्रशासनिक प्रखंड तक मशाल जुलूस निकालने के बाद मध्यरात्रि से यह भूख हड़ताल शुरू की गई है। परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित राष्ट्र विरोधी नारे लगाए जाने को लेकर राष्ट्रद्रोह के एक मामले में कन्हैया को गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही प्रशासनिक ब्लॉक विरोध प्रदर्शन का मुख्य स्थल रहा है। आंदोलनरत पांच विद्यार्थी जहां एबीवीपी से हैं वहीं जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 20 अन्य विद्यार्थी विभिन्न वामपंथी समूहों से हैं। कन्हैया पर जहां अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार के आधार पर 10,000 रुपये जुर्माना लगाया गया है, वहीं उमर, अनिर्बान और कश्मीरी विद्यार्थी मुजीब गट्टू को विभिन्न अवधियों के लिए विश्वविद्यालय से निष्कासित किया गया है। इस मामले में गिरफ्तार कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य अभी जमानत पर हैं। विश्वविद्यालय ने जांच समिति की सिफारिश पर इस सप्ताह की शुरुआत में विभिन्न विद्यार्थियों को दंडित करने की घोषणा की थी। चौदह छात्रों पर पर अर्थदंड लगाया गया है, दो से छात्रावास की सुविधा वापस ले ली गई, जबकि दो पूर्व छात्रों के लिए विश्वविद्यालय ने प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया ने कहा,  प्रशासन ने सोचा कि यदि परीक्षाओं के दौरान यह कार्रवाई की जाती है तो विद्यार्थियों की ओर से कोई विरोध नहीं होगा। कृपया हमारे विवेक पर सवाल खड़ा न करें, हम विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी थीसिस लिख सकते हैं और परीक्षाएं दे सकते हैं। उन्होंने कहा,  उच्च स्तरीय समिति के इस उच्च स्तरीय नाटक का कारण रोहित वेमुला की खुदकुशी है। हम अपनी जान गंवाकर चीजें सीखना नहीं चाहते, बल्कि इन एजेंडों से लड़कर चीजें सीखना चाहते हैं। जेएनयूएसयू की उपाध्यक्ष शहला राशिद शोरा ने कहा,  जेएनयू का प्रशासन किस तरह के विद्यार्थी चाहता है? चापलूस, अवसरवादी, सत्ता, प्रशासन का पक्ष लेने वाले जो अपने ही लोगों के खिलाफ इस उम्मीद में खड़ा हो कि मौजूदा सरकार उसका पक्ष लेगी।

 

एक अलग हड़ताल पर बैठे एबीवीपी के सदस्य सौरभ कुमार शर्मा पर लगाए गए जुर्माने को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। शर्मा ने ही इस विवादास्पद घटना की शिकायत की थी। जेएनयू छात्र संघ में एबीवीपी की ओर से एकमात्र सदस्य पर यातायात बाधित करने के लिए 10,000 रुपये जुर्माना लगाया गया है। एबीवीपी का आरोप है कि विश्वविद्यालय ने जुर्माने पर फैसला करते समय राष्ट्रवादियों और राष्ट्र-विरोधियों को एक ही डंडे से हांका है और देशभक्ति का अपराधीकरण कर एक गलत नजीर पेश की है। विश्वविद्यालय के अधिकारी अपने इस रुख पर कायम हैं कि जांच समिति द्वारा गहन जांच के बाद यह निर्णय किया गया और यह विश्वविद्यालय के नियमों के तहत है।

 

उधर भाकपा ने आज जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाने के फैसले की निंदा की और आरोप लगाया कि जिस रिपोर्ट के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है, वह आरएसएस-भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के इशारे पर तैयार की गई है। भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा, हम कन्हैया पर कार्रवाई की निंदा करते हैं। बगैर आरोप के उन पर कार्रवाई की गई। पुलिस ने पहले कहा था कि उसे इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला कि कन्हैया वहां देश विरोधी नारे लगा रहे थे। भाकपा प्रमुख ने कहा, जांच समिति के अध्यक्ष खुद ही एक आरक्षण विरोधी समिति के संयोजक थे। वह एक भाजपा समर्थक, मंडल विरोधी, आरक्षण विरोधी छात्र नेता थे। यह तो सब समझते हैं कि ऐसी पृष्ठभूमि वाला आदमी कैसा रवैया अपनाएगा। रेड्डी ने कहा कि एबीवीपी ने 20 दिन पहले ही खबर लीक कर दी थी कि कन्हैया पर 10,000 रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा और बाकी लोगों को निष्कासित किया जाएगा।

 

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