सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी गतिरोध के बीच केरल के मुख्यमंत्री ने 15 नवंबर को राज्य में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह सर्वदलीय बैठक सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई निश्चित करने के एक दिन बाद ही बुलाई गई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने 22 जनवरी तक महिलाओं के प्रवेश संबंधी कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।
दो महीने चलने वाला ‘मंडाला मक्कारविलक्कु’ 17 नवंबर से शरू हो रहा है। यह श्रृद्धालुओं के आने का विशेष मौसम होता है। इसे देखते हुए सरकार का यह निर्णय महत्वपूर्ण है।
राज्य सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाने का यह फैसला कल देर रात लिया गया। इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर पर आई 48 याचिकाओं पर एक साथ ओपन कोर्ट में सुनवाई करने को सहमत हो गया है। 22 जनवरी को यह सुनवाई पांच जजों की बेंच करेंगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर तब तक रोक लगाने से इंकार भी कर दिया था।
नहीं मिला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद भी केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिला पाया है। पिछले महीने प्रदर्शनकारियों के विरोध की वजह से महिलाएं मंदिर के अंदर नहीं जा सकीं।
लगातार हो रहा है विरोध
इस फैसले का दक्षिण पंथी कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने सदियों से चली आ रही परंपरा के खिलाफ आए कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया है। याचिकार्ताओं का तर्क है कि आस्था को वैज्ञानिक ढंग द्वारा तय नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि प्रजनन की उम्र वाली महिलाओं को इसलिए मंदिर में आने की इजाजत नहीं है क्योंकि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे।