Advertisement

दो लेबर कोड लोकसभा में पेश, जानें वेतन भुगतान और श्रमिक सुरक्षा के नए प्रावधान

सरकार ने श्रम सुधारों में तेजी लाने के लिए दो विधेयक लोकसभा में पेश कर दिए। चार लेबर कोड में दो लेबर कोड...
दो लेबर कोड लोकसभा में पेश, जानें वेतन भुगतान और श्रमिक सुरक्षा के नए प्रावधान

सरकार ने श्रम सुधारों में तेजी लाने के लिए दो विधेयक लोकसभा में पेश कर दिए। चार लेबर कोड में दो लेबर कोड पेश किए गए हैं। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार द्वारा पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा विधेयक 2019 और वेतन विधेयक 2019 पेश किए गए हैं। हालांकि विपक्षी दलों ने जांच के लिए दोनों विधेयक स्थायी समिति को भेजने की मांग की। इन दोनों कोड के लागू होने के साथ ही 17 मौजूदा कानून निष्प्रभावी कर दिए जाएंगे क्योंकि इन कानूनों के सारे प्रावधान इन कोडों में किया गया है।

सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी विधेयक में 13 कानूनों का विलय

पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संबंधी विधेयक में 13 केंद्रीय श्रम कानूनों का विलय किया गया है और उन्हें तर्कसंगत बनाया गया है। इन कानूनों में कई महत्वपर्ण बदलाव भी किए गए हैं। यह कानून उन सभी संस्थानों पर लागू होगा, जहां दस या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हों। लेकिन माइनिंग और डॉक के कर्मचारी इसमें शामिल नहीं होंगे। सिनेना और थिएटर कर्मचारियों के साथ डिजिटल ऑडियो-विजुअल कर्मचारी और सभी तरह के इलेक्ट्रानिक मीडिया को भी शामिल किया गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक के साथ ई-पेपर, रेडियो और अन्य मीडिया संस्थानों के पत्रकार भी शामिल होंगे।

दादा-दादी भी होंगे कर्मचारियों के आश्रित

नए विधेयक का दायरा बढ़ाया गया है ताकि किसी नियोक्ता द्वारा एक राज्य में नियुक्त करके दूसरे राज्य में भेजने पर भी उन पर लागू होगा। विधेयक में कर्मचारी के आश्रितों में दादा-दादी को शामिल किया गया है।

हर साल मुफ्त हेल्थ चेकअप अनिवार्य

नियोक्ता को सभी कर्मचारियों को वार्षिक हेल्थ चेकअप की मुफ्त सुविधा देनी होगी। प्रत्येक कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना भी जरूरी होगा। विधेयक में सभी संस्थानों का सिंगल रजिस्ट्रेशन होगा। केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के लिए राष्ट्रीय पेशागत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड भी बनेगा। पांच श्रम कानूनों के तहत कई समितियों को मिलाकर यह बोर्ड बनाया जाएगा। इसमें श्रम संगठन, नियोक्ता संगठन और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे। अगर नियोक्ता द्वारा अपने कर्तव्यों में कोताही बरती जाती है और उसके कारण किसी व्यक्ति की मौत होती है या वह शारीरिक रूप से गंभीर रूप से घायल होता है तो नियोक्ता पर लगने वाले जुर्माने का 50 फीसदी तक हिस्सा अदालत पीड़ित व्यक्ति या उसे परिजन को देने का आदेश दे सकता है।

रात में भी काम कर सकेंगी महिला कर्मचारी

इस समय विभिन्न कानूनों में क्रेच, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा, कल्याण अधिकारी जैसे प्रावधान लागू करने के लिए अलग-अलग सीमा तय है। नए कोड में सभी कल्याणकारी प्रावधानों के लिए एक समान सीमा होगी ताकि उद्योग उसके व्यय के बारे में पहले से अनुमान लगा सकें। नए विधेयक में महिला कर्मचारियों को शात सात बजे के बाद और सुबह छह बजे से पहले काम करने की अनुमति दी गई है लेकिन कर्मचारियों की सहमति, सुरक्षा, अवकाश और काम के घंटे की शर्तें यथावत रहेंगी। इसमें फैक्ट्री, अनुबंधित श्रमिक, बीड़ी एवं सिगार प्रतिष्ठानों के लिए एक कॉमन लाइसेंस होगा। अनुबंधित श्रमिक रखने के लिए पूरे देश का एक लाइसेंस पांच साल के लिए जारी होगा।

न्यूनतम वेतन सभी कर्मचारियों को

वेतन विधेयक यानी कोड ऑन वेजेज में न्यूनतम वेतन और भुगतान की तारीख सभी उद्योगों के लिए एक समान तय होगी। इस समय वेतन और भुगतान कानून अलग-अलग हैं और वे सिर्फ तय वेतन सीमा तक के अनुसूचित कर्मचारियों पर लागू होते हैं। इस विधेयक में प्रत्येक कर्मचारी के लिए जीविका का अधिकार सुनिश्चित होगा। न्यूनतम वेतन लागू करना कानूनी तौर पर अनिवार्य होगा और इसका लाभ 100 फीसदी कर्मचारियों को मिलेगा। अभी मुश्किल से 40 फीसदी को ही लाभ मिल पाता है।

श्रमिकों का जीवन स्तर सुधरेगा

विधेयक में वैधानिक न्यूनतम वेतन का निर्धारण न्यूनतम कार्य दशाओं के आधार पर तय करने की व्यवस्था होगी। इससे देश भर में करीब 50 करोड़ श्रमिकों का जीवन स्तर सुधरेगा। इस पर भी जोर दिया गया है कि राज्य कर्मचारियों को वेतन का भुगतान डिजिटल मोड में करवाने के लिए अधिसूचना जारी करें। इस समय वेतन की 12 परिभाषाएं हैं। नए विधेयक में वेतन की परिभाषा को सरल किया गया है। इसके अनुसार न्यूनतम वेतन मुख्य तौर पर क्षेत्र और कुशलता के आधार पर होगा। न्यूनतम वेतनों की संख्या में भी खासी कटौती की गई है। इस समय देश में न्यूनतम वेतन की 2000 से ज्यादा दरें लागू हैं।

दावा करने की समय सीमा भी बढ़ेगी

कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम वेतन का दावा करने के लिए समय सीमा बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है। न्यूनतम वेतन, बोनस, समान पारिश्रमिक आदि के लिए दावा पेश करने की प्रक्रिया भी एक समान की गई है। इस समय इनके दावे छह महीने से दो साल के भीतर किए जा सकते हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad