गोवा के फैक्टरी मंरी दीपक धावलीकर ने अपनी पत्नी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि आजकल लड़कियां जिस तरह के कपड़े पहनती हैं, उससे बलात्कार की घटनाओं को बढ़ावा मिलता है।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की नेता सुभाषिनी अली का कहना है कि बलात्कार को लड़कियों के पहनावे से जोड़ कर देखना महिलाओं पर हिंसा करने वालों के बचाव करना है। लेकिन तमाम तरह के विरोध के बावजूद नेताओं को इस तरह के बयानों से रोका नहीं जा रहा। इसकी वजह यह है कि जो लोग सत्ता में हैं, वे इस मानसिकता के हैं। दिक्कत यह है कि महिला संगठन ही इस तरह के बयानों का विरोध करते हैं लेकिन राजनीतिक दलों में कोई जुंबिश नहीं होती।
दीपक की पत्नी लता ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया था कि बलात्कार के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि महिलाएं पश्चिमी संस्कृति की नकल कर रही हैं। पत्नी के बचाव में उतरे मंत्री ने कहा, लड़कियां जब हिंदू संस्कृति का अनुसरण करतीं थीं तो बलात्कार की घटनाएं नहीं होती थीं। अब, लोगों के रहन सहन और कपड़ों का तरीका बदल गया है और आप देख सकते हैं कि बलात्कार की घटनाएं किस तरह बढ़ रही हैं। दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था की पदाधिकारी लता सोमवार को मडगांव में एक सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं जहां उन्होंने अभिभावकों से अपील की थी कि वे अपने बच्चों को मिशनरी स्कूलों में नहीं भेजें। मंत्री ने कहा कि उनकी पत्नी ने जो कहा वह सच है, साथ ही कहा, क्या कान्वेंट स्कूल हमारी संस्कृति के बारे में पढ़ाते हैं ? आप कान्वेंट स्कूलों के बच्चों से मिलिए और खुद ही फैसला कीजिए। उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होता।
गौरतलब है कि धावलीकर ने आगे कहा कि लता जहां बोल रही थीं वह हिंदू धार्मिक मूल्यों को प्रसारित करने का मंच था और दिल से बोलने में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, हिंदू धार्मिक संस्थानों को लगता है कि भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रसार होना चाहिए क्योंकि पश्चिमी सभ्यता का हमारी भारतीय संस्कृति पर हमला हो रहा है। उन्होंने जो कहा, मैं भी उससे सहमत हूं।
धावलीकर के बड़े भाई सुदीन धावलीकर पिछले साल गोवा के तटों पर बिकनी पर रोक लगाने की मांग कर विवादों में घिर गए थे।