समिति में प्रोफेसर एके गोसाईं, प्रो. बृज गोपाल, प्रो. सीआर प्रभु और जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर शामिल हैं जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कार्यक्रम से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम से पहले फाउंडेशन द्वारा जुटाई गई राशि से इस जुर्माना राशि को अलग रखना होगा जिस पर एनजीटी की नजर रखी जाएगी। यमुना किनारे होने वाली क्षति की भरपाई एक साल के अंदर की जानी चाहिए। रिपोर्ट में कार्यक्रम रद्द करने की सिफारिश नहीं की गई है लेकिन बताया गया है कि 35 लाख लोगों की उपस्थिति से पर्यावरण को यहां जबर्दस्त नुकसान होने वाला है। समिति ने अदालत में हलफनामे के जरिये आयोजकों से संशोधित कार्यक्रम और विस्तृत स्थल नक्शा पेश करने की मांग की है।