एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख नौ मई से पहले रविशंकर से जवाब देने को कहा है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने रविशंकर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया है कि उनका बयान स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय में हस्तक्षेप है। मिश्रा ने अधिवक्ता रित्विक दत्ता और राहुल चौधरी के जरिये याचिका दायर की है।
एओएल की वेबसाइट पर जारी एक बयान के अनुसार, रविशंकर ने कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति देने के लिए सरकार और एओएल को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि उनके फाउंडेशन ने एनजीटी समेत सभी जरूरी मंजूरी प्राप्त की थी और नदी अगर इतनी ही साफ थी तो कार्यक्रम को शुरआत में ही रोका जाना चाहिए था। इस पोस्ट पर एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने हैरत जताई थी।
बीस अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान यमुना के नुकसान के आकलन को बनाई कमेटी की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में रखी गई थी, जिसमें कहा गया है कि आर्ट ऑफ लिविंग की गैर जिम्मेदारी की वजह से यमुना को पहले की स्थिति में लाने के लिए 42.02 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।