न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की एक अवकाशकालीन पीठ ने देर रात दो बजे अपना आदेश सुनाया और मामले की अगली सुनवाई सोमवार को तय कर दी थी। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष मालीवाल और आयोग के वकीलों ने उम्मीद जताई कि चूंकि यह मामला अब न्यायालय में विचाराधीन है, लिहाजा सरकार और दिल्ली पुलिस नाबालिग दोषी को रिहा नहीं करेगी। लेकिन रविवार को दोषी की रिहाई हो गई और उसे एक एनजीओ के संरक्षण में रखा गया है।
न्यायमूर्ति गोयल के आवास के बाहर मालीवाल ने पत्रकारों को बताया, मामले की सुनवाई सोमवार को आइटम नंबर 3 के तौर पर होगी। यह मामला अब विचाराधीन हो गया है। मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार और दिल्ली पुलिस एक दिन इंतजार करेगी और उसे रिहा नहीं करेगी। वरिष्ठ वकील गुरू कृष्ण कुमार और देवदत्त कामत सहित मामले से जुड़े वकील रात करीब 1:30 बजे न्यायमूर्ति गोयल के आवास पर तब गए जब मालीवाल को रजिस्ट्रार ने कहा कि मामले को अवकाशकालीन पीठ को सौंपा गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले दिनों दोषी नाबालिग की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि एेसा कदम उठाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। अदालत ने कहा था कि नाबालिग़ अपराधी को सजा की अवधि से ज्यादा समय तक सुधार गृह में नहीं रखा जा सकता है। इसी आदेश के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसे प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने अवकाशकालीन पीठ को भेज दिया।
गौरतलब है कि निर्भया कांड के नाबालिग दोषी को मिली तीन साल की सजा आज पूरी हो रही है और उसे आज रिहा किया जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर देश में किशोर न्यायिक व्यवस्था पर बड़ी बहस छिड़ गई है। निर्भया कांड की माता-पिता भी अपराध के समय नाबालिग और अब व्यस्क हो चुकी अपराधी की रिहाई का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
निर्भया के माता-पिता को हिरासत में लेने पर हंगामा
शनिवार को इस मुद्दे पर एक प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने निर्भया के माता-पिता और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया। इस मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ट्वीट के बाद हंगामा खड़ा हो गया। केजरीवाल ने ट्वीट किया, "मैं ये जानकर बहुत स्तब्ध हूं कि निर्भया के माता पिता को हिरासत में लिया गया है। उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।" हालांकि, दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिए जाने से इनकार किया। दिल्ली पुलिस के डीसीपी (उत्तर) मधुर वर्मा ने कहा, "हमने आउटर रिंग रोड जाम करने वाले 40 युवाओं को हिरासत में लिया था लेकिन पीड़ित के माता-पिता को हिरासत में नहीं लिया गया। उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें सड़क से हटा दिया गया था। बाद में उन्हें उनके घर भिजवा दिया गया।"