उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 12 साल से करीब 7.5 प्रतिशत रही है और इस औसत में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ है। हालांकि इस विकास दर से जीवन के स्तर में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।
द्रेज ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा कि कुछ ही देशों की प्रगति इतने लंबे समय तक इतनी तेज रही है। साथ ही जीवनशैली की गुणवत्ता में सुधार सीमित रहा है। संप्रग की राष्ट्रीय सलाहाकार परिषद के पूर्व सदस्य द्रेज, जो अब रांची विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर हैं, ने कहा कि पिछले दो साल की वृद्धि दर इसी दायरे में है। उन्हाेंने कहा, यह एक तरह की उपलब्धि है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन इस वक्त अच्छा नहीं है।
भारत में भूख, अकाल और नरेगा जैसे मुद्दों पर विस्तृत शोध करने वाले द्रेज ने कहा देश में मुख्य मुद्दा जीवन स्तर को सुधारने का है। वृद्धि दर जो बढ़ भी सकती है और नहीं भी, इस दर को और अधिक बढ़ाना लक्ष्य नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इस वृद्धि से लोगों के जीवन-स्तर में व्यापक सुधार हो। उल्लेखनीय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि वित्त वर्ष 2015-16 में 7.6 प्रतिशत थी। भाषा एजेंसी