एक दिन पहले ही सेना के एक जवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था और अधिकारियों के सहायकों के रूप में सैनिकों के इस्तेमाल की आलोचना की थी। हालांकि जनरल रावत ने स्पष्ट किया कि सहायक की प्रणाली सेना का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन पीस स्टेशनों में इसे हटाने की संभावना को देखने के लिए वह सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सैनिकों को परोक्ष तरीके से अपनी शिकायतें उठाने के बजाय सेना में मौजूद उत्कृष्ट शिकायत निवारण प्रणाली का इस्तेमाल करना चाहिए।
जनरल रावत ने सोशल मीडिया को दो मुंह वाला हथियार बताया जिसका इस्तेमाल अपने हिसाब से किया जा सकता है लेकिन यह नुकसानदेह भी हो सकता है। उन्होंने दिल्ली में अपने सालाना संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैंने आदेश जारी किए हैं कि प्रत्येक सेना मुख्यालय में विभिन्न स्थानों पर हम सेनाध्यक्ष को भेजे जाने के लिए सुझाव-सह-शिकायत पेटिका रखेंगे।
सेना प्रमुख ने पूरी तरह गोपनीयता रखे जाने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि सेवा में किसी भी स्तर का कोई भी कर्मी जो चाहे पत्र में लिखकर इन पेटियों में डाल सकता है ताकि शिकायतें सीधे उन तक पहुंच सकें। जनरल रावत ने कहा कि सैनिकों को नाम के साथ उन्हें पत्र लिखना चाहिए लेकिन वह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले जवान का नाम हटा दिया जाए। कल एक वीडियो में देहरादून की 42 इन्फेंटी ब्रिगेड में तैनात लांस नायक यज्ञ प्रताप सिंह ने कहा था कि जब उन्होंने पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री, राष्ट्रपति और उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखा तो उनकी ब्रिगेड को पीएमओ से उनकी समस्याओं के मामले में जांच करने के लिए कहा गया था।
सिंह ने कहा कि उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच करने के बजाय उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया और इस तरह से जांच भी शुरू कर दी कि नतीजतन उनका कोर्ट-मार्शल किया जा सकता है। इससे पहले भी जवानों के दो वीडियो वायरल हो चुके हैं। (एजेंसी)