कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के मौजूदा कदम को लेकर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने केन्द्र से पूछा कि क्या "मस्कुलर राष्ट्रवाद" ने दुनिया में किसी भी संघर्ष का हल किया है। केंद्र ने जम्मू और कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को खत्म कर दिया है और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया है।
चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की टिप्पणियों का भी हवाला दिया। चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, "शाह फैसल पहले सिविल सेवा परीक्षा में आए और आईएएस में शामिल हो गए। उन्होंने J जम्मू-कश्मीर पर सरकार की कार्रवाई को 'सबसे बड़ा विश्वासघात' बताया।"
उन्होंने कहा कि अगर शाह फैसल ऐसा सोचते हैं, तो कल्पना करें कि जम्मू-कश्मीर के लाखों आम लोग क्या सोचते हैं,।
चिदंबरम ने पूछा "क्या मस्कुलर राष्ट्रवाद 'ने दुनिया में कहीं भी किसी भी संघर्ष को हल किया है?"
‘सरकार ने संविधान के अनुच्छेदों की गलत व्याख्या की है’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इससे पहले कहा था, ‘‘ सरकार ने जो किया है वह अप्रत्याशित और जोखिम भरा कदम है। सरकार ने संविधान के अनुच्छेदों की गलत व्याख्या की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सभी राजनीतिक दलों, राज्यों और देश की जनता से कहना चाहता हूं कि ‘‘भारत का विचार’’ गंभीर खतरे में है। यह भारत के संवैधानिक इतिहास में एक काला दिन है।’’
जम्मू-कश्मीर पर सरकार का कदम मनमाना और अलोकतांत्रिक: कांग्रेस कार्य समिति
बता दें कि कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने मंगलवार को कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ खड़ी रहेगी और भाजपा के ''विभाजनकारी एजेंडे'' के खिलाफ लड़ेगी। कांग्रेस कार्य समिति के प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 को जिस मनमाने और अलोकतांत्रिक ढंग से हटाया गया है, उसकी सीडब्ल्यूसी निंदा करती है। पार्टी ने आरोप लगाया कि संवैधानिक कानून के हर सिद्धांत, राज्यों के अधिकारों और लोकतांत्रिक शासन प्रक्रिया का हनन किया गया है। इसने कहा कि अनुच्छेद 370 को पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और बी आर अंबेडकर ने गोपालस्वामी अयंगर और वीपी मेनन के सहयोग से तैयार किया था। यह उन शर्तों को संवैधानिक मान्यता थी जो जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की सूत्रधार थीं।