इस बीच, पचौरी की नियुक्ति पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए टेरी के पूर्व छात्रों ने आज कहा कि इससे संस्थान की छवि धूमिल होगी। वहीं, प्रख्यात वकील इंदिरा जयसिंह ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए हैरानगी जताई है कि अपने हाथों में शक्ति रखने के बावजूद उसने उन्हें क्यों नहीं हटाया। जयसिंह ने कहा कि सरकार से टेरी सोसायटी को काफी मात्रा में धन आता है। कोष मुहैया करने वाली अपनी क्षमता के मुताबिक सरकार के पास बोर्ड से यह सवाल पूछने का अधिकार है कि क्यों नहीं उनके (पचौरी के) खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि जहां तक विश्वविद्यालय की बात है तो यह डीम्ड है जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत है।
यौन उत्पीड़न के कई आरोपों का सामना करने के बावजूद विश्वविद्यालय के कुलपति पचौरी को हाल में एक नव सृजित पद पर नियुक्त कर दिया गया था। इस कदम की विश्वविद्यालय के पूर्व छात्राों एवं देशभर की महिला कार्यकर्ताओं ने कड़ी आलोचना की। टेरी विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति राजीव सेठ ने कहा, हां वह छुट्टी पर हैं। मैं इसकी पुष्टि कर सकता हूं कि टेरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के तौर पर वह छुट्टी पर हैं। उन्होंने आज इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘दीक्षांत समारोह सात मार्च को है। वह (पचौरी) उसमें हिस्सा नहीं लेंगे।’
यह पूछे जाने पर कि पचौरी की अनुपस्थिति में कुलपति का पद कौन संभालेगा, सेठ ने कहा कि चूंकि किसी भी विश्वविद्यालय के दैनिक मामले कुलपति देखते हैं, पचौरी के छुट्टी पर जाने से किसी भी तरह से संस्थान का कामकाज प्रभावित नहीं होगा। साल 2013-15 बैच के कुछ छात्रों ने कल सेठ को पत्रा लिख कर कहा था कि टेरी विश्वविद्यालय में प्रबंधन बोर्ड द्वारा पचौरी के खिलाफ हाल में अकर्मण्यता दिखाए जाने से उन्हें बहुत दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा, यह अभी निर्णय नहीं किया गया है। उनका पद कुलपति का था। किसी भी विश्वविद्यालय का दैनिक कामकाज कुलपति देखता है। इसलिए विश्वविद्यालय का कामकाज किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होगा।
पूर्व छात्रों की ओर से उन्हें लिखे गए पत्रा के बारे में पूछे जाने पर सेठ ने कहा कि विचारों पर चर्चा होनी चाहिए और विश्वविद्यालय उन्हें कभी नहीं दबाएगा।