समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में मंत्रालय द्वारा 11 सितंबर 2012 को जारी किए गए सर्कुलर का हवाला देते हुए सभी विभागों से कहा गया था कि अपने-अपने मंत्रियों की विदेश और देश के भीतर हुई यात्राओं के खर्च का ब्यौरा सक्रियता के साथ उजागर करें। इस समिति के सदस्य पूर्व प्रमुख सूचना आयुक्त ए. एन. तिवारी और सूचना आयुक्त एम. एम. अंसारी हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से अन्य जानकारियों को भी उजागर करने की बात कहते हुए कहा, इन जानकारियों को हर तिमाही में अपडेट किया जाना चाहिए। इन जानकारियों में स्थान का नाम, जिन संस्थानों या लोगों से बातचीत की गई उनका नाम, अवधि, आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के नाम व नंबर, परिवहन का साधन, यात्राा खर्च, वित्त पोषण का स्रोत और किसी यात्रा के नतीजे आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि कोई लोकतांत्रिक सरकार गोपनीयता की दीवार खड़ी करके खुद को उस जनता से अलग नहीं कर सकती। पारदर्शिता सरकार को उसकी जनता के करीब लाती है। एक एेसी करीबी, जो कि सुशासन को मजबूती देती है। सार्वजनिक प्राधिकरणों को बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद स्वेच्छा से ये जानकारियां उजागर करने की दर कम ही रही है। समिति ने कहा कि सूचना मांगने के लिए नागरिकों की ओर से एेसी आरटीआई याचिकाएं बड़ी संख्या में अभी भी दायर की जा रही हैं, जिन्हें यह जानकारी स्वत: उपलब्ध होने की स्थिति में टाला जा सकता था।
गौरतलब है कि पीएमओ प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रााओं पर आने वाले खर्च से जुड़ी जानकारी देने से लगातार मना करता रहा है। केंद्रीय सूचना आयोग की ओर से जारी एक आदेश में केबिनेट सचिवालय को यह निर्देश दिया गया था कि वह इस मामले से व्यापक जनहित जुड़ा होने के नाते मंत्रिायों और अत्यधिक विशिष्ट लोगों की यात्राा पर होने वाले खर्च का ब्यौरा सार्वजनिक करे। आयोग के इस आदेश के बावजूद सूचना देने से इन्कार किया जा रहा है।