अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के नाम में से क्रमश्ाः ‘मुस्लिम’ और ‘हिंदू’ शब्द हटाने की सिफारिश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक पैनल ने की थी। पीटीआई के मुताबिक, पैनल का कहना था कि ये शब्द यूनिवर्सिटी का सेक्युलर चरित्र नहीं दिखाते हैं। अब इस पर सरकार ने अपना पक्ष साफ किया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ किया है कि BHU से 'हिन्दू' और AMU से 'मुस्लिम' शब्द हटाने का कोई इरादा नहीं है। अहमदाबाद में सोमवार को जावड़ेकर ने यहां तक कहा कि यूजीसी की एक समिति ने ऐसी सिफारिश की है जो कि उस समिति के मैंडेट का हिस्सा ही नहीं है। वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस सिफारिश का विरोध करते हुए इसे खारिज कर दिया है।
AMU aur BHU ke naam badalne ka sarkaar ka koi nirnay nahi hai: Union HRD minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/Xx4BJvmZBL
— ANI (@ANI) October 9, 2017
क्या है मामला?
यूजीसी ने 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कथित अनियमितता की शिकायतों की जांच के लिए मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देश पर 25 अप्रैल को पांच कमेटियां गठित की थी। इसी में एक समिति ने विश्वविद्यालयों का सेक्युलर चरित्र प्रदर्शित करने के मकसद से ये धर्मसूचक शब्द हटाने की सिफारिश की थी।
एएमयू और बीएचयू के अलावा पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, झारखंड की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, जम्मू की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, वर्धा का महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, त्रिपुरा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मध्यप्रदेश की हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी का भी ‘शैक्षिक, शोध, वित्तीय और मूलभूत संरचना ऑडिट’ कराया गया है।
समिति को इन विश्वविद्यालयों में अकादमिक, अनुसंधान और वित्तीय संचालन के अलावा इनके बुनियादी ढांचों का भ्ाी ऑडिट करना थी। ऐसे में एएमयू का ऑडिट कर रही समिति ने सुझाव दिया कि संस्थान को या तो सिर्फ 'अलीगढ़ यूनिवर्सिटी ' कहा जाए या फिर इसका नाम इसके संस्थापक सर सैयद अहमद खान के नाम पर रख दिया जाए।
दूसरे पक्षों का क्या कहना है?
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि पता नहीं क्यों AMU और BHU का मामला उठाया जा रहा है। इस मुद्दे को पहले ही सुलझाया जा चुका है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पीआरओ विभाग के सदस्य मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी ने सवाल किया है कि आखिर किस आधार पर यूजीसी की समिति ने ये सिफारिश की है। सिद्दीकी के मुताबिक उनका काम वित्तीय मामलों को देखना है या यूनिवर्सिटी के बुनियादी चरित्र को देखना। एएमयू एक धर्मनिरपेक्ष संस्थान है और यहां किसी तरह का कोई पक्षपात नहीं होता. जहां तक इसके चरित्र (दर्जे) का मामला है तो वो सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है।
एएमयू के छात्रों और प्रोफेसरों का भी यही मानना है कि AMU से ‘मुस्लिम’ और BHU से ‘हिंदू’ शब्द हटाने से इन दोनों विश्वविद्यालयों की पहचान खत्म हो जाएगी। पूरी दुनिया में लोग इन दोनों विश्वविद्यालयों को AMU और BHU के नामों से ही जानते हैं।
वाराणसी में बीएचयू के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि एएमयू से मुस्लिम और बीएचयू से हिंदू शब्द हटाए जाएंगे। प्रो. सिंह ने कहा कि ‘हिंदू’ बीएचयू की और ‘मुस्लिम’ एएमयू की सुंदरता है। ऐसा नहीं होता कि बीएचयू में मुस्लिम छात्रों और एएमयू में हिंदू छात्रों को दाखिला नहीं मिलता। इस देश की सुंदरता ‘अनेकता में एकता’ में है. प्रो सिंह ने कहा कि जो वर्षों से इन विश्वविद्यालयों की पहचान रहा है, उसे छेड़ा नहीं जाना चाहिए।