नोटबंदी शब्द का पिछले साल नवंबर से लेकर अब तक थोक के भाव में इस्तेमाल हुआ है।
यही मौसम था, यही महीना था। तारीख थी 8 नवंबर और समय था रात के 8 बजे। इसके बाद कुछ कहने को खास रह नहीं जाता क्योंकि उसके बाद जो कुछ भी घटा, वो सबको मालूम है।
उस वक्त बैंक के आगे लाइन में लगे लोगों की तस्वीरें आम थीं। उनके चेहरे की परेशानियां भी आम थीं लेकिन इस बीच कुछ खास तस्वीरें भी सामने आई थीं। लाइन में अगर कोई बड़ा नेता लग जाए तो उसे खास इवेंट मान ही लिया जाता है।
ऐसे ही 11 नवंबर, 2016 को कांग्रेस के वर्तमान उपाध्यक्ष और अध्यक्ष बनने के लिए लाइन में लगे हुए राहुल गांधी तब भी लाइन में लगे हुए थे। नोट बदलवाने के लिए। कहने को कहा ही गया कि इसके राजनीतिक मायने हैं। फिर भी इस पर काफी चर्चा हुई। राहुल गांधी की तस्वीरें वायरल हुईं। कोई इसे उनकी सादगी बता रहा था, कोई पॉलिटिकल स्टंट।
राहुल गांधी शाम 4 बजकर 25 मिनट पर संसद मार्ग के स्टेट बैंक शाखा पहुंचे थे। राहुल आम आदमी की तरह लाइन मे खड़े होकर पांच सौ और हजार के पुराने वोट बदलवाए। राहुल को लाइन में देख लोग चौंक गए। राहुल ने कतार में खड़े लोगों से बात भी की और उनकी मुश्किलें सुनीं। कई लोगों ने राहुल के साथ सेल्फी भी ली। राहुल के बैंक पहुंचने पर वहां मौजूद लोगों को थोड़ी तकलीफ का सामना भी करना पड़ा। कई लोग राहुल की एक झलक पाने की कोशिश कर रहे थे। बैंक के भी कई कर्मियों को राहुल के साथ तस्वीरें खिंचवाते देखा गया।
राहुल करीब 40 मिनट तक बैंक में रहे। इसके बाद भी वह बैंक में देखे गए थे।
उम्मीद के मुताबिक, इस दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी को खरी-खोटी सुनाई और कहा कि उन्हें ये बात समझ नहीं आएगी कि सरकार के इस फैसले से जनता को कितनी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि आम लोगों को कष्ट हो रहा है इसलिए मैं उनके साथ खड़े होने आया हूं।
राहुल ने कहा था कि सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए, सिर्फ 15-20 लोगों के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि वह कतार में इसलिए खड़े हैं क्योंकि लोग अपने 500 और 1000 रुपये के नोट बदलवाने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।
राहुल ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘इस कतार में कोई करोड़पति नहीं है। गरीब लोग कई घंटे से कतार में खड़े हैं। मैं कहना चाहता हूं कि सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए, सिर्फ 15-20 लोगों के लिए नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए मैं उनके साथ खड़े होने आया हूं। मैं यहां 4,000 रुपये के पुराने नोट जमाकर नए नोट लेने आया हूं।’’
राहुल ने कहा, ‘‘न तो आप, न ही आपके करोड़पति मालिक और न ही प्रधानमंत्री समझ पाएंगे कि लोगों को कैसी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।’’
तब से लेकर अब तक राहुल गांधी नोटबंदी पर कुछ न कुछ बोलते ही रहते हैं।
काले धन और आतंकवाद पर रोक लगाने के नाम पर लिए गए इस फैसले के फायदे-नुकसान चर्चा का विषय अब तक बने हुए हैं। सरकार इस दिन जश्न की तैयारी में है तो विपक्ष इस दिन काला दिवस मना रहा है। ऐसे में ''उन दिनों'' को याद करना जरूरी है।