नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के अस्पतालों में पुलिस के कथित रूप से घुसने की खबरों को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने ‘‘चिंताजनक’’ करार दिया है। आईएमए ने कहा है कि ऐसी कार्रवाई ‘‘अस्वीकार्य’’ है। इसने मांग की कि अस्पतालों को ‘‘सुरक्षित क्षेत्र’’ घोषित किया जाना चाहिए।
चिकित्सकों की इस संस्था ने कहा कि अस्पतालों को युद्ध क्षेत्र में भी हिंसा से मुक्त रखा जाता है। आईएमए ने एक बयान में कहा, ‘‘आईएमए जिस वजह से आज प्रतिक्रिया दे रहा है, वह यह है कि चिकित्सा देखरेख से वंचित करने की चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। यह अस्वीकार्य है। सभी को चिकित्सा देखरेख प्राप्त करने का अधिकार है।’’
‘किसी को उसके अधिकारों से वंचित करने का हक नहीं’
आईएमए ने कहा, ‘‘सरकार और उसके प्रतिष्ठान को किसी को उसके अधिकारों से वंचित करने का हक नहीं है। हिंसक तरीके से पुलिसकर्मियों का एक आईसीयू में घुसने का दृश्य नए सच और नए मापदंड का साफ संकेत हैं।’’
आईएमए ने कहा कि अस्पतालों में हिंसा स्वीकार्य नहीं है और वह अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र के रूप में रखे जाने के पक्ष में है।
अस्पताल में घुसी पुलिस
नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गुरुवार को कर्नाटक के मंगलुरू में हिंसा हुई थी। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चलाई थी, जिसमें दो की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। गोली से घायल हुए लोगों को मंगलुरू के हाईलैंड हॉस्प्टिल में लाया गया था। खबरों के मुताबिक, हाईलैंड अस्पताल की ओर से बताया गया है कि पुलिस ने आकर हॉस्पिटल पर भी आंसू गैस के गोले चलाए। इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों को पकड़ने की बात कहकर पुलिस मरीजों के कमरों तक में घुस गई और स्टाफ के साथ बदतमीजी की गई। अस्पताल ने इसको लेकर सीसीटीवी की फुटेज भी जारी की है।