नई दिल्ली। स्कूली पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा की पुस्तकें शामिल करने पर हरियाणा सरकार की आलोचना को लेकर भारतीय स्वंयसेवक संघ के विचारक दीनानाथ बत्रा ने पलटवार किया है। बत्रा ने कहा कि यदि विद्यार्थियों को संस्कृति और इतिहास के बारे में बताना भगवाकरण है तो देश को उस दिशा में तेजी से बढ़ना चाहिए।
शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए पैनल में शामिल बत्रा ने यह भी कहा कि भगवा को राष्ट्रीय रंग बना दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि राम एवं कृष्ण केवल धार्मिक ग्रंथों के ही नहीं बल्कि देश के इतिहास का हिस्सा हैं।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के मौके पर कहा, यदि किशोर पीढ़ी को भारत की संस्कृति, दृष्टांतों और इतिहास में बलिदान की कहानियों के बारे में बताना भगवाकरण है तो मैं कहना चाहूंगा कि हम उस दिशा में थोड़ा धीमा चल रहे हैं और मैं देखना चाहूंगा कि पूरे देश का तेजी से भगवाकरण हो। उन्होंने कहा, पुस्तकों पर विवाद अवांछित है। आज विश्वविद्यालयों का देश की समृद्धि में नगण्य योगदान है। विद्यार्थी नवयुवक हैं लेकिन उनकी उर्जा किसी उपयोग और उत्पादक सामाजिक या राष्टीय कार्य में नहीं लगायी जा रही है।
बत्रा ने कहा कि उनकी लिखी हुई छह पुस्तकें सरस्वती वंदना से शुरू होती हैं और उनमें विद्यार्थियों में भारतीय मूल्य एवं राष्ट्रवाद को जगाने के लिए लेख, दोहे, कहानियां एवं कविताएं हैं।
आरएसएस समर्थित शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के संयोजक बत्रा की कुछ पुस्तकें पहले से ही गुजरात बोर्ड से संबद्ध विद्यालयों मेंं अनिवार्य हैं। बत्रा ने कहा कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने उनसे नैतिक शिक्षा पर विद्यार्थियों के लिए पाठ्यपुस्तकें लिखने का अनुरोध किया है जिन्हें अगले अकादमिक सत्र से राज्य में विद्यालयों में शुरू की जा सकती हैं।