जस्टिस लोया मामले में स्वतत्र जांच करवाने की याचिकाओं पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। विशेष सीबीआई के जज बीएच लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के लिए इन याचिकाओं में निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी की आखिरी सुनवाई के दौरान याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों को गंभीर बताया था, लेकिन मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर आरोप लगाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे को फटकार लगाई थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस का बाद एक बार फिर उठ गया। कोर्ट में लंबित दो याचिकाएं कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोन ने दायर की हैं।
दिसंबर 2004 में हुई जज लोया की मौत
बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत 2014 में 30 नवंबर की रात और 1 दिसंबर की दरमियानी सुबह हुई, जब वे नागपुर गए हुए थे। उस वक्त वे सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें मुख्य आरोपी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह हैं। उस समय यह कहा गया था कि लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है। जबकि उनकी बहन का कहना है कि लोया की मौत प्राकृतिक नहीं है। उस समय वह सीबीआई की विशेष अदालत के प्रभारी जज थे।
चार वरिष्ठ जजों ने की थी प्रेस कांफ्रेस
गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई अरुण मिश्रा कर रहे थे लेकिन चार जजों द्वारा खुले तौर पर आपत्ति जताए जाने के बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था, उन्होंने कहा था कि इसे 'उपयुक्त बेंच' के सामने पेश किया जाए। इसके बाद कई मामलों पर चीफ जस्टिस ने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए गठित संवैधानिक बेंच में इन चार जजों को जगह नहीं दी थी।