बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में अवमानना का सामना कर रहे सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया है। मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मंगलवार को नागेश्वर राव के माफीनामे को नामंजूर करते हुए कार्यवाही चलने तक कोर्ट में बैठे रहने की सजा सुनाई। कोर्ट ने मामले में नागेश्वर राव और लीगल एडवाइजर एस भासुरम पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी। कोर्ट में दिए अपने माफीनामे में स्वीकार किया कि सीबीआई का अंतरिम प्रमुख रहते हुए जांच एजेंसी के संयुक्त निदेशक ए.के. शर्मा का तबादला करके उन्होंने गलती की और ए.के. शर्मा शेल्टर होम मामले की जांच कर रहे थे।
नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा कि मैं गंभीरता से अपनी गलती महसूस करता हूं और बिना शर्त माफी मांगते हुए कहता हूं कि मैंने जानबूझकर इस अदालत के आदेश का उल्लंघन नहीं किया।
राव कोर्ट के निर्देशों से वाकिफः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागेश्वर राव कोर्ट के निर्देशों से वाकिफ हैं कि सीबीआई अफसर का तबादला इस अदालत की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता।
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि नागेश्वर राव ने खुद को अदालत की कृपा पर छोड़ा है और पुलिस अधिकारी के तौर पर उनका करियर बेदाग रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि यह अवमानना नहीं है तो क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने उसके आदेश का उल्लंघन करते हुए शर्मा का एजेंसी के बाहर तबादला करने के लिए 7 फरवरी को सीबीआई को फटकार लगाई थी और राव को 12 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष उपस्थित होने को कहा था।
ये है मामला
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में कोर्ट का आदेश था कि जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी ए.के. शर्मा का तबादला बिना कोर्ट की मंजूरी के नहीं किया जाए। लेकिन सीबीआई के दो बड़े अफसरों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने सीवीसी की सिफारिश पर दोनों अफसरों को छु्ट्टी पर भेज दिया और रातों रात नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त कर दिया। इसके बाद नागेश्वर राव ने ए.के. शर्मा समेत कई अन्य अफसरों का तबादला कर दिया था।