उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर आरोपी प्रभावशाली है, तो इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि पुलिस एफआईआर भी दर्ज न करें। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने और फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। इससे पहले, राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामले की जांच में कोई अपराध सामने नहीं आया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय दिया है।
गौरतलब है कि 35 वर्षीय पीड़ित महिला प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पर उच्चतम न्यायालय गई थी। उसका आरोप है कि मंत्री ने उसे पार्टी में ऊंचा पद दिलाने के नाम पर पिछले दो साल में कई बार गैंगरेप हुआ और उसकी नाबालिग बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की।
महिला का यह भी आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले पर महिला की याचिका को खारिज कर चुका है।