असम में तैयार हुए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) में करीब 2000 ट्रांसजेंडरों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं। इन नागरिकों को एनआरसी से बाहर छोड़ने पर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा
मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और न्यायाधीश बी. आर. गवई और सूर्य कांत की बेंच ने स्वाति बिधान बरुआ की जनहित याचिका पर सरकार को नोटिस जारी िकया है। असम की पहली ट्रांसजेंडर जज स्वाति बिधान बरुआ ने सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि एनआरसी प्रक्रिया के समय ट्रांसजेंडरों को बाहर रखा गया। इसके कारण एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में उनके नाम शामिल नहीं हो सके।
एनआरसी के साथ सीएए और एनपीआर का विरोध
दूसरे देशों खासकर बांग्लादेश के घुसपैठियों की पहचान के लिए असम में तैयार किए गए एनआरसी में करीब 19 लाख लोग शामिल नहीं हो पाए हैं। इन लोगों की नागरिकता साबित करने के लिए आगे की प्रक्रिया चलाई जाएगी। दूसरी ओर, केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पारित किए जाने और पूरे देश में एनआरसी के साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू किए जाने की योजना के चलते लगातार विरोध हो रहा है।