एसएफआईओ ने दस से अधिक बैंकों के पूर्व आला अधिकारियों को सम्मन भेजा है। विजय माल्या के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय समेत कई एजेंसियों की जांच चल रही है। सूत्रों के अनुसार, एसएफआईओ ने किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े मामलों में अपनी जांच का दायरा बढ़ाया है। एजेंसी अब संदिग्ध कर्मियों के लिए बैंकों के साथ साथ उनके शीर्ष प्रबंधन कर्मियों पर ध्यान दे रही है, जिन्होंने कंपनी को कर्ज देने में संपत्तियों व देनदारियों का समुचित निरीक्षण नहीं किया। उन्होंने कहा कि एसएफआईओ ने कुछ सार्वजनिक बैंकों के कुछ पूर्व प्रमुखों से पूछताछ की है, जिन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस को नया कर्ज दिया, जबकि उसका घाटा बढ़ रहा था।
किंगफिशर एयलाइंस का वैल्यूएशन करने वाली ग्रांट थार्नटन एलएलपी नामक सलाहकार कंपनी की भूमिका के बारे में भी एसएफआईओ जांच कर रही है। किंगफिशर को ज्यादातर कर्ज 2007 से 2010 के दौरान दिया गया जबकि कंपनी का शुद्ध घाटा 2008-09 में बढ़कर 1600 करोड़ रपये से ज्यादा हो गया। विजय माल्या को विलफुल डिफाल्टर घोषित किया जा चुका है और मार्च में देश से बाहर जा चुके हैं। बैंकों का उन पर 9000 करोड़ रपये से अधिक का बकाया है।
कुछ सार्वजनिक बैंकों के पूर्व प्रमुखों ने नाम नहीं छापने की गुजारिश के साथ बताया कि एसएफआईओ ने उनसे संपर्क किया है, लेकिन कहा कि एजेंसियां कर्ज वितरण तथा अन्य तकनीकियों के बारे में सूचना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष प्रबंधन स्तर पर कोई त्रुटि नहीं हुई थी और उन्होंने आधिकारिक सवालों को सम्बद्ध बैंकों के पास भेज दिया।