हमारे देश में फेक न्यूज का कारोबार फल-फूल रहा है। बेंगलुरू में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद भी लोग उन्हें बख्शने को तैयार नहीं। उन्होंने मौत से पहले अपनी पत्रिका में आखिरी संपादकीय फेक न्यूज के ऊपर ही लिखा था, लेकिन अब फेक न्यूज उनका ही पीछा करने लगी हैं। उनके अंतिम संस्कार में उन्हें दफनाए जाने के बाद ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं कि गौरी लंकेश का असली नाम 'गौरी लंकेश पैट्रिक' था और वह एक ईसाई थीं। कुछ ने एक कदम आगे जाते हुए गौरी को ईसाई मिशनरी तक घोषित कर दिया।
फेक न्यूज की पड़ताल करने वाली वेबसाइट बूमलाइव के मुताबिक, ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर तैर रही हैं जो कि गलत हैं। बूम के अलावा एसएम होक्स नाम के ट्विटर हैंडल, जो फेक न्यूज की सच्चाई सामने लाता है, उसने भी कहा कि गौरी शंकर की धार्मिक पहचान को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और इस हैंडल ने इस तरह की तस्वीरों की तरफ ध्यान दिलाया।
It reached WhatsApp too.
— SM Hoax Slayer (@SMHoaxSlayer) September 7, 2017
From Patrike (पत्रिके) to Patrick, then to theories & fictions. #TheUsualTrick
Last time it was Pranav CBI Raid pic.twitter.com/Oqx4Kx0fEz
यही नहीं, उनकी ऐसी तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं, जिसमें उनके हाथ में शराब का गिलास है। इस तरह का चरित्र हनन करना यहां अब आम होता जा रहा है। शराब के गिलास से लोग क्या साबित करना चाहते हैं? क्या इसकी वजह से वे बुरी हो जाती हैं और उनकी हत्या की जा सकती है? किसी भी तरह हत्या को जायज ठहराने का ऐसा दुस्साहस पहले कभी नहीं देखा गया।
क्या है सच्चाई?
वहीं उन्हें दफनाए जाने को लेकर गौरी के भाई इंद्रजीत ने कहा कि उनके अंतिम संस्कार में कोई कर्मकाण्ड नहीं हुआ। असल में गौरी एक नास्तिक थीं और उनके विश्वास का सम्मान किया गया। इससे इतर देखा जाए तो भी वे ईसाई नहीं थीं। गौरी की पृष्ठभूमि लिंगायत समुदाय की थी। लिंगायत लोग शिव की पूजा करते हैं और उनके यहां शव को दफनाने का रिवाज है। वे लोग शव को लिटाकर या बैठाकर दफनाते हैं। शव को किस तरह दफनाया जाना है यह परिवार वाले तय करते हैं। लिंगायत लोग खुद को हिंदू धर्म से अलग देखे जाने की मांग करते रहे हैं।
इसलिए व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्विटर पर फैल रही ये तमाम बातें महज अफवाहें हैं। सोशल मीडिया के दौर में लोगों को चीजें खुद क्रॉस चेक करनी चाहिए तभी किसी बात पर भरोसा करना चाहिए।