न्यायमूर्ति मदन लोकुर और न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की खंडपीठ ने केंद्र और राज्यों से पूछा कि सूखे से उत्पन्न मौजूदा संकट से निपटने में सूखा प्रबंधन के लिए सरकार ने नियमावली का पालन किया है या नहीं। सर्वोच्च अदालत ने सरकारों से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, जिसके तहत हरेक व्यक्ति को प्रतिमाह 5 किलो अनाज देने का प्रावधान है, का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा है। इसके हरेक व्यक्ति को प्रति माह 2 किलो और मिड-डे मील योजना के तहत अंडा या दूध भी दिए जाने की स्वराज अभियान की मांग पर भी राज्यों से जवाब मांगा गया है।
इस मामले में स्वराज अभियान की ओर से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण स्वराज अदालत में पेश हुए। अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी। देश के सूखा प्रभावित इलाकों में योगेंद्र यादव की संवेदना यात्रा और बुंदेलखंड में सूखे के सर्वेक्षण के बाद पिछले महीने स्वराज अभियान ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
लगातार तीसरे साल देश के कई इलाकों में सूखे की मार के चलते बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद हुई है। याचिका में सूखे के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए अपर्याप्त कदमों के अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और मनरेगा जैसी मौजूदा कानूनों के क्रियान्वयन में ढील पर सवाल उठाए गए हैं।