ब्रिटेन की राजधानी लंदन में अमेरिकी कैब सेवा प्रदाता कंपनी उबर के परिचालन को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उबर को बचाने के लिये चार लाख से अधिक लंदनवासियों ने एक निवेदन पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। यह अभियान उस फैसले के बाद शुरू हुआ, जिसमें उबर के परिचालन लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करने का निर्णय लिया गया।
उबर को बड़ा झटका देते हुए लंदन के यातायात नियामक ने घोषणा की थी कि वह नागरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये टैक्सी कंपनी उबर के लाइसेंस को रिन्यू नहीं करेगा। उबर पर सार्वजनिक सुरक्षा में कमी, ड्राइवरों की पृष्ठभूमि और उनके आपराधिक रिकॉर्ड के मामले में लापरवाही के आरोप हैं।
उबर इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। इसी के साथ चार्ज डॉट ओआरजी पर "सेव योर उबर इन लंदन" शीर्षक से डाली गयी याचिका पर 4,60,000 से ज्यादा ने हस्ताक्षर किए।
आग्रह पत्र में कहा गया, "अगर यह फैसला बना रहा तो 40,000 से ज्यादा चालक काम से बाहर हो जायेंगे। साथ ही लंदन के लाखों लोगों को सुविधाजनक और सस्ती परिवहन सेवा से वंचित होना पड़ेगा। यह निर्णय बड़ी संख्या में ईमानदार और परिश्रमी चालकों को प्रभावित करेगा।" शहर के मेयर सादिक खान की अध्यक्षता वाले ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (टीएफएल) ने घोषणा की थी कि वह उबर के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करेगा क्योंकि वह "उचित" ऑपरेटर नहीं है। उबर का परिचालन लाइसेंस 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है।
उबर कैब कंपनी भारत में भी विवादित रही है। दिसंबर 2014 में देश की राजधानी दिल्ली में उबर टैक्सी में रेप के बाद प्रतिबंध लगाया गया था।
पांच दिसंबर 2014 में एक 26 वर्षीय महिला ने गुड़गांव से दिल्ली जाने के लिए ऐप से उबर की टैक्सी बुक की थी। इसी दौरान उबर ड्राइवर ने महिला को सूनसान जगह पर ले जाकर रेप किया था.।अक्टूबर 2015 में आरोपी ड्राइवर शिव कुमार यादव को अदालत ने दोषी ठहराया था। कई उबर कैब ड्राइवरों ने भी कंपनी में अनियमितता की शिकायतें की थीं।
भारत में उबर टैक्सी में ये रेप का पहला मामला था. इसके बाद दिसंबर में उबर पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने जुलाई 2015 में इससे प्रतिबंध हटा दिया था.