लोकसभा ने आज एक विधेयक पास किया जिसमें साढ़े आठ लाख शिक्षकों को सम्बन्धित डिग्री लेने का आखिरी मौका दिया गया है। ये मौका मार्च 2019 तक दिया गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अनिवार्य शिक्षा (संशोधन) का अधिकार विधेयक, 2017 पेश करते हुए कहा कि जब शिक्षा का अधिकार आया था तब बहुत से नए प्राइवेट स्कूल खुले और बहुत से अप्रशिक्षित लोगों को भर्ती किया गया। उन्हें पांच साल में प्रशिक्षित होने का समय दिया गया था। फिर भी आज 6 लाख प्राइवेट और 2.5 लाख सरकारी शिक्षक बिना अनिवार्य न्यूनतम योग्यता के पढ़ा रहे हैं।
My reply on The Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendment) Bill passed in LS today https://t.co/YIABdFmBcz
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) July 21, 2017
लोकसभा ने चर्चा के बाद नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2017 पारित कर दिया। एक अप्रैल 2010 में शिक्षा का अधिकार लागू करते समय प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी को देखते हुए पांच वर्षो के लिए अप्रशिक्षित शिक्षक रखने की इजाजत दी गई थी। इन शिक्षकों को पांच वर्ष यानी 31 मार्च 2015 तक प्रशिक्षण लेना था। जावड़ेकर के बिल को अभी राज्यसभा से पारित होना है। इस सत्र में लोकसभा में पारित यह दूसरा बिल है।
जावड़ेकर ने कहा कि अप्रशिक्षित शिक्षक 'स्वयं' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। उन्हें ऑनलाइन पाठ्य सामग्री मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि दूरदर्शन के 32 डीटीएच चैनलों पर 400 से अधिक कोर्स से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं। ये कार्यक्रम आठ भाषाओं में हैं। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले शिक्षकों को मुक्त विश्वविद्यालय के जरिए डिग्री मिलेगी। पेशेवर कोर्स करने के बाद वे अपने पद पर पुनः कार्य कर सकेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले इन अप्रशिक्षित शिक्षकों का ट्रैक रिकॉर्ड भी रखा जाएगा। किस शिक्षक ने कितनी पढ़ाई की है, डीटीएच पर पाठ्यक्रम से जुड़े कितने कार्यक्रम देखे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई करने के बाद परीक्षा से पहले इन सभी अध्यापकों को जिला स्तर पर दो सप्ताह का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि, इनकी गुणवत्ता को और सुधारा जा सके। इसके बाद शिक्षकों की परीक्षा होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सरकार सदन के अंदर और बाहर चर्चा के लिए तैयार है।