राजस्थान की पर्यटन, कला एवं संस्कृति मंत्री कृष्णेंद्र कौर ने कपूर समेत सभी 12 सदस्यों के नामांकन को बीती रात रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें नामांकन के बारे में पता नहीं था और विभाग के प्रधान सचिव ने बिना सलाह मशविरे के आदेश जारी किया था।कौर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह आदेश जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। रिसर्जेंट राजस्थान सम्मेलन समाप्त होने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। यह विवाद ऐसे समय खड़ा हुआ है जब देश-विदेश के तमाम उद्योगपति और निवेशक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राजस्थान पहुंचे हुए हैं।
अनीश कपूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया ब्रिटेन यात्रा के विरोध मेंं ब्रिटिश अखबार द गार्डियन में लिखे एक लेख में मोदी सरकार को हिंदू तालिबान का शासन बताया था। अनीश को जवाहर कला केंद्र की गवर्निंग काउंसिल में शामिल करने की जानकारी मिलने के बाद भाजपा में ही इसका विरोध शुरू हो गया था। इसलिए आनन-फानन में यह आदेश रद्द करना पड़ा। लेकिन यह विवाद शांत होता नहीं दिख रहा है। पीएम मोदी के इस घोर आलोचकों को राजस्थान सरकार ने पहले क्यों तवज्जो दी, इस मुद्दे पर सफाई देना वसुंधरा सरकार के लिए भारी पड़ रहा है। इतना ही नहीं जवाहर कला केंद्र के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चार सदस्यों और गवर्निंग काउंसिल के कुल 12 सदस्यों को हटा दिया गया है।
विवादास्पद वास्तुशिल्पी अनीश कपूर समेत 12 लोगों को जवाहर कला केंद्र के गवर्निंग बोर्ड में सदस्य के रूप में 16 नवंबर को नामित किया था। इससे पहले 12 नवंबर को गार्डियन में प्रकाशित लेख ने अनीश कपूर ने भारत में कथित असहिष्णुता का मुद्दा उठाते हुए लिखा था कि भारत में हिंदू तालिबान का राज चल रहा है। कला केंद्र की महानिदेशक पूजा सूद ने कहा कि यह सूची 16 नवंबर को सरकार ने जारी की थी। यह रोचक तथ्य है कि इस सूची में नामांकन पाने वालों में राजस्थान का कोई कलाकार नहीं है। हालांकि इसमें होमी के भाभा, उपन्यासकार जीत तायिल जैसे कलाकारों के नाम थे।
- एजेंसी इनपुट