लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) कई राजनीतिक दलों के निशाने पर है। विपक्षी दलों के कई बड़े नेता ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि कभी ईवीएम की सुरक्षा पर जोरशोर से सवालिया निशान लगाने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब इसे विरोधियों का ‘ड्रामा’ करार दे रही है। 2009 में भारतीय जनता पार्टी को जब चुनावी हार का सामना करना पड़ा, तब पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे और चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। आइए, उस समय मुख्य चुनाव आयुक्त रहे नवीन चावला की जुबानी जानते हैं उस समय चुनाव आयोग ने इस शिकायत का किस तरह समाधान किया था.... और उस समय क्या हुआ था।
भारतीय जनता पार्टी इन दिनों ईवीएम के इस्तेमाल का पुरजोर समर्थन कर रही है, लेकिन वह इसका विरोध करने वाली सबसे पहली सियासी पार्टी थी। 2009 में जब पार्टी को हार का सामना करना पड़ा सबसे पहले आडवाणी ने ईवीएम पर सवालिया निशान लगाए थे। इसके बाद पार्टी ने भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों, कई गैर सरकारी संगठनों और अपने थिंक टैंक की सहायता से ईवीएम मशीन के साथ होने वाली छेड़छाड़ और धोखाधड़ी को लेकर पूरे देश में मुहिम छेड़ी थी।
इस कड़ी में मौजूदा भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने 'डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?' नाम की एक किताब भी लिखी। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी ईवीएम के उपयोग का जोरशोर से विरोध करते रहे हैं। उस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि 90 ऐसी सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है जो संभव नहीं है। स्वामी के अनुसार ईवीएम के जरिए वोटों का 'होलसेल फ्रॉड' मुमकिन है।
चुनाव आयुक्त की जुबानी, उस समय की कहानी
हालांकि उस समय ईवीएम का विरोध कर रहे इन नेताओं को चुनाव आयोग ने जवाब भी दिया। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने एक इंटरव्यू में आउटलुक को बताया कि उस दौरान क्या हुआ था। चावला ने बताया, “मेरे समय में लालकृष्ण आडवाणी और सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पत्र लिखकर इस मामले को उठाया था। उन लोगों ने कहा कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। उनको भरोसा दिलाने के लिए मैंने कहा कि आप अपनी टीम के साथ आइए और उसे हैक करके दिखाइए।”
'वे ईवीएम को हैक नहीं कर पाए'
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे बताया, “मैंने 100 मशीनें मंगवाई और एक तरह से पोलिंग स्टेशन तैयार कर दिया। वे ईवीएम को हैक नहीं कर पाए। फिर कुछ लोगों ने कहा कि ईवीएम को घर ले जाने की इजाजत दें। मैंने कहा कि ऐसा मैं नहीं कर सकता, क्योंकि आप घर ले जाकर रिवर्स इंजीनियरिंग कर सकते हैं।”
उन्होंने बताया, “एक हफ्ते तक बातचीत चलती रही, उसके बाद स्वामी ने हाईकोर्ट में हलफनामा देते हुए कहा कि हम संतुष्ट हैं, लेकिन पेपरट्रेल की व्यवस्था करिए। उसी के बाद से मैंने वीवीपैट की शुरुआत की। अब वीवीपैट अच्छी तरह से काम कर रहा है।”