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तीन तलाक पर रोक के पीछे हैं इन महिलाओं का संघर्ष

तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले शायरा बनो ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद कई महिलाएं इस मामले पर कोर्ट गईं।
तीन तलाक पर रोक के पीछे हैं इन महिलाओं का संघर्ष

मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, तीन तलाक को पांच में से तीन जजों ने असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार संसद में छह महीने के भीतर इसे लेकर कानून बनाए। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। 

इस फैसले का तमाम पक्षों की तरफ से स्वागत किया जा रहा है। ऐसी बहुत सी महिलाएं थीं जिन्हें डाक-पोस्ट, व्हाट्स ऐप, स्काइप तक से तलाक दिया गया, जिसके खिलाफ बहुत सी महिलाएं आगे आईं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था के खिलाफ याचिका दायर कीं। उनमें से कुछ प्रमुख नाम इन महिलाओं के रहे-

शायरा बानो

तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शायरा को उनके पति ने तलाकनामा भेजा था। शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला की रिवाज को भी चुनौती दी। इसके तहत मुस्लिम महिलाओं को अपने पहले पति के साथ रहने के लिए दूसरे शख्स से दोबारा शादी करनी होती है। वे मुस्लिमों में बहु-विवाह को भी गैर-कानूनी बनाने की मांग कर रही हैं।

उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा की शादी 2002 में इलाहाबाद के प्रॉपर्टी डीलर रिजवान के साथ हुई थी। उनके साथ जल्द की परेशानी शुरू हो गई। उन्होंने बताया, "मेरे ससुराल वाले फोर व्हीलर की मांग करने लगे और मेरे पैरेंट्स से चार-पांच लाख रुपए कैश चाहते थे। उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि यह मांग पूरी कर सकें। मेरी और भी बहनें थीं।" शायरा के दो बच्चे हैं। 13 साल का बेटा और 11 साल की बेटी। शायरा का आरोप है कि शादी के बाद उसे हर दिन पीटा जाता था। रिजवान हर दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करता था। "बहुत ज्यादा बहस करना और झगड़ना उसकी आदम में शामिल था।

शायरा के मुताबिक, रिजवान से शादी के बाद उसका छह बार अबॉर्शन करवाया गया। "पिछले साल अप्रैल में मैं अपने पैरेंट्स के घर लौट आ गई, तो मुझे लौट आने को कहा जाने लगा। अक्टूबर में मुझे टेलीग्राम के जरिए तलाकनामा भेज दिया गया।" वह एक मुफ्ती के पास गई तो उन्होंने कहा कि ट्रेलीग्राम से भेजा गया तलाक जायज है।

आखिरकार, शादी के एक साल बात उसे अगस्त 2015 में पति ने उन्हें घर से निकाल दिया। अक्टूबर में आफरीन की मां की बस एक्सीडेंट में मौत हो गई तो उनका पति हमदर्दी जताने के लिए कुछ दिन आया, फिर बातचीत बंद कर दी। फोन और सोशल मीडिया पर भी कोई बात नहीं करता था। जनवरी में शायरा को स्पीड पोस्ट से एक लिफाफा आया। खोला तो यह तलाकनामा था। इसमें तलाक की वजह भी नहीं बताई गई थी। बेसहारा महसूस कर रही आफरीन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) से जुड़ी।

शायरा और दूसरी महिलाओं ने इससे प्रेरित होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जकिया रहमान और नूरजहां सैफिया नियाज

ये दोनों महिलाएं भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) की फाउंडर हैं। 2007 में बनाए गए इस एनजीओ से अब तक 15 राज्यों की 30 हजार महिलाएं जुड़ चुकी हैं। यह संगठन मस्जिदों और मुंबई की हाजी अली दरगाह में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश की मांग की वजह से चर्चा में आया।

इशरत जहां

 30 साल की इशरत जहां पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली हैं। अप्रैल, 2015 में इशरत के पति मुर्तजा ने दुबई से फोन करके इशरत को तलाक दे दिया था। उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनकी शादी 2001 में हुई थी। उनके बच्चे भी हैं, जिन्हें पति ने जबरदस्ती अपने पास रखा है।

उन्होंने अपनी याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और उसे पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की। इशरत ने कहा है कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है।

गुलशन परवीन

गुलशन परवीन उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वाली हैं। 2015 में जब वह अपने माता-पिता के घर पर थीं तब उन्हें 10 रूपए को स्टांप पेपर पर तलाकनामा भेजा गया। गुलशन ने कहा कि मेरे पति को अचानक एक दिन ये फैसला किया और मैं और हमारा 2 साल का बेटा रिदान बेघर हो गए। परवीन ने नोटिस स्वीकार करने से मना कर दिया। उन्होंने ससुराल वालों पर दहेज को लेकर घरेलू हिंसा का आरोप भी लगाया।

आफरीन रहमान

 आफरीन रहमान की 2014 में शादी हुई थी। एएनआई के मुताबिक, आफरीन का कहना था, दो तीन महीने के बाद, मेरे शौहर के घर वालों ने दहेज के लिए मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बाद में वो उन्होंने मुझे पीटना भी शुरू कर दिया और सितंबर 2015 में उन्होंने मुझसे घर छोड़ने के लिए कहा।

आफरीन अपने मात-पिता के पास गई और उसे भी स्पीड पोस्ट से तलाकनामा मिला। इसे अस्वीकार करते हुए आफरीन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली।

आतिया साबरी

आतिया साबरी उत्तर प्रदेश के ही सहारनपुर की रहने वाली हैं। आतिया साबरी की शादी 2012 में हुई थी। उनकी दो बेटियां हैं। उन्हें भी तलाक कागज पर दिया गया, जिसकी वजह से आतिया कोर्ट गईं।

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