पानी की लगातार बढ़ती मांग, नदियों का अत्यधिक दोहन और निश्चित स्त्रोतों की अनुपलब्धता की वजह से आने वाले दिनों में भारत पानी की कमी वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो सकता है। शुक्रवार को नई दिल्ली में ‘दुनिया का सतत विकास सम्मेलन' में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने यह आशंका व्यक्त की। इस मौके पर जल संसाधनों के विकास और प्रबंधन पर भारत ने यूरोपीय यूनियन के साथ एक सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच अक्टूबर को इसे मंजूरी दी थी। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उमा भारती ने कहा, 'भारत की पवित्र नदियों की अपने को बचाए रखने की प्राकृतिक क्षमता विभिन्न स्त्रोतों से प्रदूषण के कारण क्षीण होती जा रही है। भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है, जिसकी वजह से हमारा देश पानी के अत्यधिक दोहन वाले देशों की श्रेणी में आ गया है। भारती ने कहा, हालात की वजह से भारत पानी की कमी वाले देशों की श्रेणी में शुमार होने के करीब है। पर्यावरण परिवर्तन की अनिश्चितता की वजह से हालात और खराब होने की आशंका है।
सम्मेलन में यूरोपीय आयोग के पर्यावरण, समुद्रीय और मत्स्य मामलों के आयुक्त कारमेनु वेल्ला भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि यह समझौता भले ही सभी मसलों को नहीं सुलझा सकेगा, लेकिन यह सही दिशा में एक कदम जरूर है। साथ ही उन्होंने कहा, यह तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रबंधन अनुभवों के आदान-प्रदान के जरिये जल साझेदारी को लागू करने का एक मार्ग भी है।