इस फैसले से चार सौ श्रद्धालुओं को निराशा मिली है जो काफी लंबे रास्ते तक चले गए थे और भगवान शिव के दर्शन की उम्मीद लिए हुए थे। इस साल नाथू ला के रास्ते यह यात्रा नहीं होगी लेकिन उत्तराखंड के लापुलेख से यात्रा तय कार्यक्रम के अनुसार चलती रहेगी। तिब्बत के नाथू ला पास से जाने वाले कैलाश मानसरोवर यात्रियों के आठ जत्थे हैं और हर एक में 50 श्रद्धालु हैं। पहला जत्था नाथू ला के पास 20 जून को पहुंच गया था और आखिरी जत्था 31 जुलाई को जाएगा। चीन ने दो मुद्दों पर बातचीत करने को कहा था।
चीन ने सिक्किम सेक्टर में भारतीय सेना पर उनकी सीमा में घुसपैठ का आरोप लगाया था। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने भारतीय जवानों से हाथापाई कर फौरन वापस लौटने को कहा था। बुधवार को चीन ने कहा कि बॉर्डर पर विवाद के चलते उसने कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय यात्रियों के लिए नाथू-ला पास बंद कर दिया है। 2015 में पहली बार चीन ने मानसरोवर यात्रा के लिए नाथू-ला का रास्ता खोला था। 28 जून को चीन ने कहा था कि भारतीय जवान पीछे हटेंगे, तभी भविष्य में यात्रा जारी रह सकेगी। चीन ने नई दिल्ली और बीजिंग में कूटनीतिक स्तर पर विरोध दर्ज कराया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ‘भारत सीमा पार करने वाले जवानों को तुरंत वापस बुलाए और इस मामले की जांच कराए।' मालूम हो कि मानसरोवर जाने के दो रास्ते हैं, जो नाथू ला और लापूलेख से होकर जाते हैं। नाथू ला से मानसरोवर आने-जाने में 19 दिन लगते हैं, जबकि उत्तराखंड और लीपूलेख से 22 दिन में यात्रा पूरी होती है। चीन सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग इलाके में सड़क बना रहा है। इसे डोकलाम इलाका भी कहते हैं। जिस इलाके में चीन यह सड़क बना रहा है, उस इलाके का एक हिस्सा भूटान के पास भी है। चीन का भारत के अलावा भूटान से भी इस इलाके को लेकर विवाद है। चीन-भूटान के बीच इस इलाके को लेकर 24 बार बातचीत हो चुकी है।