दिल्ली उच्च न्यायालय में तुर्की की कंपनी सेलेबी एविएशन ने केंद्र सरकार द्वारा उसकी सुरक्षा मंजूरी अचानक रद्द किए जाने को "आसमानी बिजली गिरने जैसा" बताया है। सेलेबी एविएशन ने कहा कि यह निर्णय बिना किसी पूर्व सूचना के लिया गया, जिससे कंपनी के संचालन और कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
कंपनी के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत में दलील दी कि सेलेबी भारत में 17 वर्षों से कार्यरत है और इसके 10,000 से अधिक कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि 2022 में पांच वर्षों के लिए दी गई सुरक्षा मंजूरी को अचानक रद्द करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। रोहतगी ने यह भी बताया कि कंपनी पूरी तरह से भारतीय कर्मचारियों द्वारा संचालित है और इसका तुर्की सरकार से कोई राजनीतिक संबंध नहीं है।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में उठाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक करने से राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंच सकता है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई गुरुवार को जारी रखेगी। इस बीच, नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने आश्वासन दिया है कि प्रभावित कर्मचारियों की सुरक्षा और विमानन संचालन की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।