पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 16 जुलाई 2025 को कोलकाता में बारिश के बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद अभिषेक बनर्जी और अन्य नेताओं के साथ एक विशाल विरोध मार्च निकाला। यह मार्च बीजेपी शासित राज्यों, जैसे ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम और गुजरात में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों की कथित हिरासत और उत्पीड़न के खिलाफ था। ममता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने फरवरी में एक गुप्त नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें बीजेपी शासित राज्यों को संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लेने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा, “मैं अब और बंगाली बोलूँगी, मुझे भी हिरासत में लो।”
ममता ने दावा किया कि 22 लाख बंगाली प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में काम करते हैं और उनके पास वैध पहचान दस्तावेज हैं। उन्होंने बीजेपी पर बंगालियों को रोहिंग्या बताकर बदनाम करने का आरोप लगाया और कहा, “मैं चुनौती देती हूँ, साबित करें कि बंगाली मजदूर रोहिंग्या हैं।” कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से डोरिना क्रॉसिंग तक तीन किलोमीटर के इस मार्च में ममता ने बीजेपी को चेतावनी दी कि अगर बंगालियों को हिरासत में लिया गया, तो बंगाल उन्हें 2026 के चुनावों में “राजनीतिक हिरासत” में लेगा।
TMC ने ओडिशा में मजदूरों की हिरासत, दिल्ली में बस्तियों पर बेदखली अभियान और असम में एक कूच बिहार के किसान को विदेशी बताने की घटनाओं का हवाला दिया। ममता ने कहा कि बीजेपी मतदाता सूची में हेरफेर कर रही है, जैसे महाराष्ट्र में नाम हटाकर जीत हासिल की और अब बिहार में ऐसा कर रही है। बीजेपी नेता सुवendu अधिकारी ने जवाब में ममता पर बंगाली अस्मिता के नाम पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने का आरोप लगाया।
मार्च में TMC के वरिष्ठ नेता, जैसे फिरहाद हकीम, और हजारों कार्यकर्ता शामिल थे। ममता ने मतदाताओं से अपनी सूची में नाम जांचने की अपील की और बंगाल में चुनाव आयोग की मतदाता सूची संशोधन की कोशिशों का विरोध करने की बात कही।