मणिपुर सरकार ने मंगलवार को लोगों से उन व्यक्तियों की संपत्ति पर कब्जा नहीं करने को कहा जो पांच महीने के जातीय संघर्ष के कारण अपने घर छोड़कर चले गये हैं। राज्य सरकार ने कहा कि ऐसा करने से कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।
उच्चतम न्यायालय के 25 सितंबर के आदेश का हवाला देते हुए मणिपुर सरकार के गृह विभाग ने कहा कि दूसरों की संपत्ति को हड़पने या उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले को कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा। उच्चतम न्यायालय ने 25 सितंबर को मणिपुर सरकार को हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार के गृह विभाग का यह आदेश इन खबरों के बीच आया है कि विभिन्न स्थानों पर प्रतिद्वंद्वी समुदाय के सदस्यों की संपत्ति को जलाया जा रहा है या उसे नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आदेश में कहा गया है, ‘‘ राज्य सरकार बहुत संवेदनशीलता के साथ नजर रख रही है क्योंकि ऐसी घटना से राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है या स्थिति बिगड़ सकती है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को कार्रवाई करने तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश का क्रियान्वयन करने की सलाह दी जाती है।’’ मणिपुर में तीन मई से फैली हिंसा में 180 से अधिक लोगों की जान चली गयी। अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मेइती समुदाय की मांग के खिलाफ पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘ट्राइबल सोलिडरिटी मार्च’ निकाले जाने के बाद हिंसा भड़की थी।