मणिपुर के मेइती संगठनों ने 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है जबकि नगा और कुकी संगठनों ने कहा कि ‘‘यह फैसला उन्हें स्वीकार्य नहीं है।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सीमाओं को ‘‘अभेद्य’’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरी 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया गया है। बेहतर निगरानी के लिए सीमा पर एक गश्ती मार्ग भी बनाया जाएगा।’’ यह कदम भारत-म्यांमा सीमा पर प्रचलित ‘मुक्त आवाजाही व्यवस्था’ (एफएमआर) को समाप्त कर सकता है। एफएमआर के तहत भारत-म्यांमा सीमा के पास रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति है।
मणिपुर की कम से कम 398 किलोमीटर की सीमा म्यांमा से लगती है जिसमें 10 किलोमीटर की सीमा पर पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है। नागरिक समाज संस्थाओं के संयुक्त संगठन ‘कोऑर्डिनेटिंग कमेटी’ (सीओसीओएमआई) ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले का स्वागत किया लेकिन साथ ही आगाह किया कि इस प्रक्रिया के दौरान राज्य के किसी भी भूमि क्षेत्र से समझौता न किया जाए।
सीओसीओएमआई के सहायक मीडिया समन्वयक एम. धनंजय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर यह (सीमा पर बाड़) 30-40 साल पहले किया गया होता तो हिंसा नहीं होती जो कि आज हम देख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निस्संदेह खुली सीमा के कारण मादक पदार्थों की व्यापक स्तर पर तस्करी हुई जिससे युवाओं की जान को खतरा है और अवैध शरणार्थियों की बाढ़ आने से बड़े जनसांख्यिकीय बदलाव हुए जिससे मेइती एवं राज्य की नगा मूल आबादी को खतरा पहुंच रहा है।’’