केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ से जुड़े मामले पर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए विपक्ष के आरोपों के संदर्भ में यह भी कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि पिछले सात वर्षों में 70 पेपर लीक हुए हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस बार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) 4,700 केंद्रों पर हुई थी, लेकिन सिर्फ एक जगह बिहार में गड़बड़ी का मामला सामने आया।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने पूरक प्रश्न पूछते हुए दावा किया कि पिछले सात वर्षों में 70 पेपर लीक हुए हैं। इस पर प्रधान ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है। उनका कहना था, ‘‘पेपर लीक का मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है। प्रधान न्यायाधीश इसकी खुद सुनवाई कर रहे हैं।’’
शिक्षा मंत्री के अनुसार, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के अस्तित्व में आने के बाद से 240 परीक्षाएं हुई हैं जिनमें पांच करोड़ छात्रों ने आवेदन किया और साढ़े चार करोड़ ने परीक्षाओं में भाग लिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। सब कुछ सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध है।’’
द्रमुक सांसद कलानिधि वीरास्वामी ने नीट परीक्षा को निरस्त करने की मांग उठाई। इसके जवाब में प्रधान ने द्रमुक पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘2010 में पहली बार नीट का फैसला किया गया था। सबको पता था कि उस समय सरकार में कौन था और कौन समर्थन कर रहा था।’’
शिक्षा मंत्री का कहना था, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा कराने का दो बार निर्देश दिया था। इसी के अनुसार यह परीक्षा जारी है।’’ प्रधान ने कहा कि 2010 में जो लोग फैसले करने में शामिल थे, अब वही सवाल खड़े कर रहे हैं।