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किसान आंदोलन का 23वां दिन; कृषि मंत्री तोमर का खुला पत्र, कहा- केंद्र MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चल रहे प्रदर्शन का आज यानी शुक्रवार को 23वां दिन हो चला है।...
किसान आंदोलन का 23वां दिन; कृषि मंत्री तोमर का खुला पत्र, कहा- केंद्र MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चल रहे प्रदर्शन का आज यानी शुक्रवार को 23वां दिन हो चला है। हरियाणा, पंजाब सरीखे देशभर के किसान राजधानी दिल्ली में डटे हुए हैं। वहीं, गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सलाह दी है कि इस कानून को कुछ दिनों तक होल्ड किया जा सकता है। उसके बाद किसान नेताओं से बात कर रास्ता निकाला जाए। इस बीच गुरुवार की शाम कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक खुला पत्र लिखा। आठ पन्नें के पत्र में नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से कहा है कि सरकार एमएसपी पर लिखित गारंटी देने को तैयार है। कृषि मंत्री ने कहा कि कुछ किसान संगठनों में कृषि कानूनों को लेकर भ्रम पैदा किया गया है और राजनीति के लिए कुछ लोग झूठ फैला रहे हैं।

तोमर ने अपने पत्र में कहा, "मैं लगातार किसानों के संपर्क में हूं। बीते दिनं मेरी अनेक राज्यों के किसान संगठनों से बातचीत हुई है। कई किसान संगठनों ने इन कृषि सुधारों का स्वागत किया है किन इन कृषि सुधारों का दूसरा पक्ष यह भी कुछ किसान संगठनों में इन्हें लेकर एक भ्रम पैदा कर दिया गया है। तोमर ने कहा कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया। पिछले 6 वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है।

आगे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखा, "देश का कृषि मंत्री होने के नाते मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करूं, हर किसान की चिंता दूर करूं. मेरा दायित्व है कि सरकार और किसानों के बीच दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है,सही वास्तुस्थिति आपके सामने रूखूं।" कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की वो राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित कुछ लोगों द्धारा फैलाए जा रहे इस सफेद झूठ को पहचानें और सिरे से खारिज करें।

बता दें केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि इन कानूनों को रद्द कर दिए जाए। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है।

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